एक शाम रफी के नाम:…तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे

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Rafi

संवाददाता.फुलवारी शरीफ. “ तुम मुझे भूला ना पाओगे …, मेरा महबूब आया है…. बहारों फूल बरसाओ, ओ दुनिया के रखवाले.. दिल के झरोखों में रखूंगा में.. ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं .. क्या हुआ तेरा वादा.. जैसे हजारों सुपरहिट गीत गाने वाले महान गायक मोहम्मद रफी की 42वीं पुण्य तिथि पर , देव एंड फ्रेंड्स म्यूजिकल ग्रुप कि ओर से एक यादगार कार्यक्रम ,”एक शाम रफी के नाम”  के साथ- साथ श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया |
कार्यक्रम में देव कुमार लाल, सुधीर मधुकर,नंदिता चक्रवर्ती, नितेश रमन, यतीश ,वी.एन.दत्त,अनूप सिन्हा , राज ,गौतम बनर्जी ,शब्बीर ,शिवाधर लाल,मनीष , नैशा टाकिया .मेघा श्री.किया घोष, अशोक ,चंद्रशेखर भगत,रंजीत प्रसाद सिन्हा,रवि रंजन, डबलू,  यश,बादल,निरंजन आदि के अलावा प्रतिमा कुमार ,बिंदु कुमारी,वंदिता ,नीलेश ,प्रियंशु,ख्याति,आराव,अनशिका,अतुल कुमार आदि ने अपने-अपने मधुर गीत-संगीत और पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया |
कार्यक्रम के उदघाटन सम्बोधन में आयोजक देव कुमार लाल,नितेश रमन,नीलेश,नन्दिता चक्रवर्ती के साथ-साथ ,यूथ होस्टल्स एशोसिएशन ऑफ इंडिया,बिहार के प्रदेश उपाध्यक्ष सुधीर मधुकर ने अपने-अपने सम्बोधन में कहा कि मो. रफी के गीत दिल और दिमाग को खुश करने और सकुन देने वाला है |  उनके गाये गीत आज भी सभी वर्ग के लोगों के दिलों में राज करता है | उहोने  1940 कि दहाई से शुरू कर 1980 तक करीब 26,000 गाने गाये | रफी साहब को साल 1965 में गायन के क्षेत्र में उनके सराहनीय योगदानों के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।23 बार फिल्मफेयर पुरस्कारों के लिए नामजद किए गए ,जिस में 6 बार उन्हें अवार्ड दिया गया |
भारतीय सिनेमा में मोहम्मद रफी गायिकी की दुनिया का वह नाम हैं ,जिसने भारतीय सिनेमा और भारतीय संगीत को उस मकाम पर पहुंचाया, जिसकी ऋणी भारतीय सिनेमा सदैव रहेगा। हिंदी सिनेमा को अपनी गायकी की बदौलत ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले इस महान गायक का 31 जुलाई , 1980 को 55 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। मोहम्मद रफी का आखिरी गीत फिल्म ‘आस पास’ के लिए था, उनके निधन से ठीक दो दिन पहले रिकॉर्ड किया था, गीत के बोल थे ‘शाम फिर क्यों उदास है दोस्त…..। रफी ने दुनियाभर में अपनी गायिकी की अमिट छाप छोड़ी । आज भी रफी के चाहनेवालों की संख्या लाखों में है। नई पीढ़ी के ज्यादातर गीतकार उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। रफी अपनी गायकी की बदौलत दर्शकों के दिलों में सदैव जीवित रहेंगे।

 

 

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