नेहरु से लेकर मनमोहन सरकार तक फ़ोन टेपिंग करवाती रही है कांग्रेस

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संवाददाता.पटना. केंद्र सरकार पर फोन टेपिंग और जासूसी करवाने का आरोप लगा रही कांग्रेस यह भूल चुकी है उनका खुद का इतिहास इस तरह की साजिश रचने, जासूसी करने और सरकार गिराने की दर्जनों कहानियों से भरा हुआ है. इतिहास के पन्ने उधेरें तो जवाहरलाल नेहरु से लेकर मनमोहन सिंह तक के कार्यकाल इस तरह की घटनाओं से भरे पड़े हैं. विरोधी तो विरोधी इन्होने अपनों तक को नहीं छोड़ा है. यह वही पार्टी है जिसने नेताजी सुभाष चंद्र बोस याद करें तो 1948 से 1968 के बीच सुभाष चंद्र बोस के परिवार तक की निगरानी करवाई थी.
अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए जासूसी विवाद पर कांग्रेस को आइना दिखाते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने आज लिखा है कि एक कहावत है- ‘चोर बोले ज़ोर से’, आज कांग्रेस का आचरण कुछ ऐसा ही हो चला है. सरकार के खिलाफ़ कोई मुद्दा न मिले तो मनगढंत कहानियां बना कर हंगामा करना और झूठ बोल-बोल कर लोगों को भड़काना, कांग्रेस की पूरी राजनीति आज इन्ही दो ध्रुवों के इर्द-गिर्द चल रही है. इन्हें इसका भी भान नहीं है कि सरकार की छवि धूमिल करने के लिए वह जो आरोप लगा रहे हैं, उसकी कालिख से वह खुद सर से पांव तक पुते हुए हैं.

कांग्रेस को इतिहास याद कराते हुए उन्होंने लिखा कि नेहरु जी के ही जमाने में तत्कालीन संचार मंत्री रफी अहमद किदवई ने फोन टेपिंग के आरोप लगाए थे. 1959 में सेना प्रमुख जनरल केएस थिमाया ने अपने और आर्मी ऑफिस के फोन टेप करने का मुद्दा उठाया था वहीं इसी सरकार के मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने 1962 में इसी तरह का आरोप लगाया था. इसी तरह आपाताकल के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं की जासूसी की गई और उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाला गया.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा कि प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी पर राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का फोन टैप करने का आरोप लगा था. वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शासनकाल में तो सारे नियमों को ताक पर रखकर फोन टैपिंग के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए गए थे.2013 में दायर एक आरटीआई के जवाब से पता चला कि तब की यूपीए सरकार 9,000 फोन और 500 ईमेल अकाउंट्स की बारीकी से निगरानी कर रही थी। यहां तक कि इन्होंने प्रणब मुखर्जी तक को नहीं छोड़ा था. उन्होंने तो तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम पर जासूसी करवाने का आरोप लगाया था. इनके खुद के विधायकों की माने तो राजस्थान में तो यह खेल अभी भी चल रहा है. इसके बावजूद कांग्रेस का इस मुद्दे पर ज़ार-ज़ार रोना उनकी घृणित मानसिकता और जमींदोज हो चुके राजनैतिक स्तर को दिखाता है.वास्तव में राहुल गांधी ने कांग्रेस को जिस झूठ की राजनीति का चस्का लगाया था, आज यह पार्टी उसमें आकंठ डूब चुकी है. इनका उबर पाना अब नामुमकिन प्रतीत होता है.

 

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