बक्सर को पर्यटन,सांस्कृतिक,आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित करने हेतु बैठक

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संवाददाता.पटना.केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दिल्ली में बक्सर के पर्यटन, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित करने के संबंध में विभिन्न विशेषज्ञों के साथ बैठक की।

बैठक में देश और विदेश में भगवान श्रीराम से जुड़े प्रमुख स्थलों एवं वहां भगवान की उपस्थित प्रारूपों पर विस्तार से चर्चा की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने पराक्रमी भगवान श्री राम के विशाल मूर्ति के प्रारूप से अवगत कराया। उन्होंने श्रीराम कर्मभूमि न्यास की स्थापना के उद्देश्य से  सबको अवगत कराते हुए सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक समरसता, समानता, सम्मान व प्रकृति की अनुकूलता के साथ सतत विकास के भारतीय जीवन दर्शन को जनजन के व्यवहार में उतारने के संकल्प को सिद्ध करने के उद्येश्य से बिहार के सिद्धाश्रम बक्सर को पर्यटन और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बेहतर बनाने पर बल दिया।  उन्होंने कहा कि श्रीराम कर्मभूमि न्यास की स्थापना का यह उद्देश्य है।

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री चौबे ने कहा कि गंगा के तट पर स्थित यह महान तीर्थ महर्षि विश्वमित्र के संरक्षण व अन्य महान ऋषियों के ज्ञान के आलोक में श्रीराम की शिक्षा, दीक्षा व परीक्षा भूमि रही है। इसी ज्ञान भूमि पर राजकुमार श्रीराम के विराट व्यक्तित्व का निर्माण हुआ था। जिससे वे मर्यादापुरूषोतम के रूप में विख्यात हुए थे। उनके माध्यम से ऋषियों के देश भारत का सोया पुरूषार्थ जागृत हुआ था। ब्रह्मांड नायक के रूप में श्रीराम की छवि निखरी और उनके विराट व्यक्तित्व से विश्व परिचित हुआ था। महर्षि विश्वामित्र, महर्षि गौतम, महर्षि भार्गव, महर्षि भारद्वाज जैसे हजारों ऋषियों ज्ञान के सानिध्य में यहां श्रेष्ठ मानव सभ्यता व संस्कृति की धारा प्रवाहमान थी। मर्यादा पुरूषोतम श्रीराम के जीवन व आदर्श को सामने रखकर विकास, ज्ञान-विज्ञान, सुशासन का युगानुकूल भारतीय माडल देने के लिए  सिद्धाश्रम बक्सर की धरती को नवाचार से युक्त विश्वस्तरीय जीवंत संस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित कराना हमारा लक्ष्य है।

बैठक में डीएसएन मूर्ति ने भगवान श्रीराममंदिर आदि का प्रजेंटेशन प्रस्तुत किए। सभी को कार्यप्रणाली आदि  से अवगत कराया। गुजरात के सरदार वल्लभ भाई पटेल के विश्व प्रसिद्ध  मूर्ति के लेजर शो से संबंधित एजेंसी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। बक्सर का स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस दृष्टिकोण से पर्यटन को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई। सदस्यों ने बताया कि श्रीराम राज्य सम्पूर्ण मानव समाज को दैहिक, दैविक और भौतिक ताप से सम्पूर्ण मानव समाज को मुक्ति दिलाने वाली है। उतर में गंगा, दक्षिण में विंध्याचल की पूर्वी श्रृंखला यानी कैमूर पहाड़ी, पूरब में सोन और पश्चिम में कर्मनाशा से घीरे क्षेत्र को चैरासी हजार ऋषियों का सिद्धाश्रम क्षेत्र कहा गया है। रामायण व अन्य भारतीय ग्रंथों में इस भूमि को चतुष्ट पुरूषार्थ प्रदान करने वाली बताया गया है। यानी आधुनिक बक्सर की पावन धरती पर विश्वामित्र व अन्य ऋष्यिों ने श्रीराम को ज्ञान प्रदान कर त्रेता में राम राज का सूत्रपात किया था।

बैठक में इस युग की समस्याओं का समाधान देने व सतत विकास का माडल देने के लिए इस भूमि से सघन शोध, शिक्षण, प्रशिक्षण, युगानुकूल योजना निर्माण का कार्य करना पर चर्चा हुई। समाज, सरकार व अन्य संस्थानों के सहयोग से जागरूकता, संस्कृति संरक्षण-संवर्द्धन, आध्यात्मिक, नैतिक व भैतिक उत्थान में यह संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सिद्धाश्रम बक्सर को लेकर हमारी परिकल्पना में राम राज्य के भाव व व्यावहारिक पक्ष को प्रदर्शित करने वाला ज्ञान-विज्ञान से युक्त एक ऐसा केंद्र बनाना है। जहां समाज व देश के समक्ष खड़ी समस्याओं को समाधान मिल सके। बैठक में न्यास के सदस्य कृष्ण कांत ओझा, धनंजय चौबे, अर्जित चौबे अविरल चौबे सहित अन्य उपस्थित थे।

 

 

 

 

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