“कागज” कितना जरूरी ?

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संवाददाता.पटना.किसी भी सरकारी काम के लिए आपके पास कागज होना बहुत जरूरी है, इन कागजों के बिना आपके पास कोई काम नहीं है लेकिन अगर आप इन कागजों में मृत घोषित हो जाते हैं तो आप जीवित रहते हुए कोई काम नहीं कर सकते।

ऐसा ही कुछ देखने को मिला हैं सतीश  कौशिक द्वारा निर्देशित फिल्म  “कागज़” में। यह फिल्म 7  जन 2021  को ZEE5 {OTP प्लेटफार्म} पर रिलीज़ किया गया.

कहानी लाल बिहारी मृतक की है जिन्होंने अपनी जिंदगी के 19 साल सिर्फ ये साबित करने में निकाल दिए कि वे जिंदा हैं. निर्देशक के रूप में इस फिल्म में सतीश कौशिक ने काफी हद तक उनकी जिंदगी को अपनी कहानी में पिरोया है.

फिल्म की शुरुआत  बिल्कुल हल्के-फुल्के अंदाज में हैं लेकिन कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ते जाता हैं   यह फिल्म बेहद सीरियस होती जाती है। जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती जाती है तो आप भरत लाल की पीड़ा और जिद को गहराई से समझने लगते हैं। फिल्म संघर्ष के जज्बे का पॉजिटिव संदेश भी देती है। एक फिल्म के तौर पर कहानी 1 घंटा 50 मिनट तक बांधने में कामयाब रही.

इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी मुख्य भूमिका में नज़र आये हैं। भरत लाल के किरदार में पंकज त्रिपाठी ने इतनी अच्छी ऐक्टिंग की है कि आप उनके किरदार का दर्द समझ सकते हैं। शायद भरत लाल का किरदार उनके जैसा कुछ गिने-चुने ऐक्टर ही निभा सकते हैं। भरत लाल की पत्नी रुक्मणि के किरदार में एम मोनल गज्जर और वकील साधुराम के किरदार में सतीश कौशिक जंचे हैं। फिल्म में मीता वशिष्ठ, नेहा चौहान, अमर उपाध्याय और ब्रिजेंद्र काला के किरदार बहुत छोटे हैं लेकिन सभी ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।

गाने की बात करें तो इस फिल्म के गाने कुछ ख़ास नहीं हैं ,इसमें  गाने भी सिर्फ इसलिए डाल दिए गए हैं कि साबित हो जाए कि बॉलीवुड फिल्म बनाई है. लेकिन उन्हें सुन सिर्फ मजा किरकिरा होगा.

दो वजह जिसके कारण यह फिल्म एक बार जरूर देखा जा सकता है. पहला , पकंज त्रिपाठी की एक्टिंग और दूसरा एक इंट्रेस्टिंग हटके कहानी वाला फिल्म जिसे  आप अपने पुरे परिवार के साथ देख सकते हैं।

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