बिहार में अबतक मरने वालों मे तीस फीसदी ही कोरोना संक्रमित

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अभिजीत पाण्डेय.

पटना.बिहार में कोरोना संक्रमण से अबतक जान गंवाने वाले 125 लोगों में से 82 लोग पहले से बीमार थे। मरने वाले 7 लोगों को सिर्फ डायबिटीज था। कुल 11 लोग ऐसे थे, जिन्हें बीपी के साथ डायबिटीज था और कुल मिलाकर 24 मृतक ऐसे निकले जिन्हें शुगर तो था ही। महज 37 लोग ही ऐसे थे, जिन्हें कोई बीमारी नहीं थी। कोरोना के कारण जान गंवाने वालों में 18 ने पहले से बीमारी रहते हुए भी ट्रेवल कर जान खतरे में डाली, जबकि 20 ने सिर्फ ट्रेवल के जरिए संक्रमण लेकर बिना किसी पुरानी बीमारी के मौत का सफर किया।

इन मौतों के विश्लेषण में सामने आया कि 12 को पहले से सिर्फ हार्ट की प्रॉब्लम थी, जबकि 9 लोगों को सिर्फ कैंसर था। मरने वाले कुल 10 लोगों में कैंसर था, जबकि कुल 22 को हार्ट की प्रॉब्लम थी। यानी, ऐसे लोगों को कैंसर और हार्ट के अलावा अन्य बीमारियां भी थीं। कुल 19 ऐसे थे, जिन्हें बीपी के साथ अन्य बीमारियां भी थीं।

दो लोग ऐसे थे, जिन्हें डायबिटीज के साथ फेफड़े का रोग था जबकि 01 मृतक को पहले से किडनी और लिवर दोनों की परेशानी थी। 28 को दो या अधिक बीमारियां पहले से थीं। एक बुजुर्ग को पहले से कोई बीमारी नहीं थी लेकिन हादसे में घायल होने के बाद संक्रमण से मौत हो गई। एक महिला को ब्रेन हेमरेज के इलाज के दौरान कोरोना का पता चला। रोहतास का 15 साल का लड़का स्वस्थ था, लेकिन 23 दिनों में कोरोना से हार गया।

ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसे रोगों को भी जानलेवा की श्रेणी में रखें तो कोरोना के कारण जान गंवाने वालों में से 49 को पहले से एक-एक जानलेवा रोग था। इनमें 09 को कैंसर और 12 को हार्ट की प्रॉब्लम थी। 07 को सिर्फ फेफड़े से संबंधित रोग था, खासकर दमा। 07 को सिर्फ डायबिटीज था, जबकि 01 को सिर्फ ब्लड प्रेशर था लेकिन जान नहीं बची। मरने वालों में 03 को सिर्फ लिवर प्रॉब्लम थी, जबकि 03 मृतक पहले से सिर्फ टीबी के रोगी थे। एक-एक को सिर्फ किडनी, ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन हेमरेज या सेप्टीसीमिया था। एक को सिर्फ स्पाइन का रोग और एक को पल्मोनरी डिजीज थी।

कोविड-19 में शुरू से बुजुर्गों-बच्चों को बचाने की बात कही जा रही थी। दोनों बचे, लेकिन आधी उम्र वालों की जान ज्यादा गई। कुल 125 मृतकों में से 41 वर्ष से 60 वर्ष के लोगों की संख्या ही 65 रही। 21 से 30 साल वालों में 9 की मौत हुई। इनमें छह ट्रेवल हिस्ट्री वाले थे। एक को कोई बीमारी नहीं थी, लेकिन पॉजिटिव सुनकर चेस्ट पेन हुआ और वही मौत का कारण बना। हाजीपुर के 25 वर्षीय युवक की न ट्रेवल हिस्ट्री थी और न उसे पहले से कोई बीमारी थी। वह कोरोना को हरा सकता था, लेकिन आत्महत्या कर ली। ऐसे एकमात्र 15 साल के लड़के की भी मौत दर्ज हुई। कुल मृतकों में दो को टीबी भी था।

125 मृतकों में से 55 ऐसे थे, जिनकी कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट या तो मरने के बाद आई या रिपोर्ट मिलने की तारीख को ही मौत हो गई। जिन 45 की रिपोर्ट मौत के बाद आई, उनमें ज्यादा वे हैं, जो इलाज के लिए पटना नहीं पहुंच सके थे। 15 साल के लड़के को इलाज के लिए 23 दिन मिला, जबकि ब्रेन हेमरेज के बाद पॉजिटिव महिला कुल 18 दिन अस्पताल में जिंदा रही।अब तक 11953 यानी 73.31% मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं. राज्य में कोरोना के 4227 एक्टिव केस हैं.

 

 

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