कहां है ग्रामीण सड़क योजना ?

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संवाददाता.मधुबनी..सरकार या प्रशासन चाहे लाख विकास की बात करती हो पर सच्चाई जब नजरों से होकर गुजरती है तो आश्चर्य ही आश्चर्य लगता है और सारे दावों की पोल खोलती दिखती है।विस्फी प्रखंड का भोजपड़ौल गांव की सड़कों को देखने से ही पता चलता है कि सरकार की कोई भी सड़क निर्माण योजना नहीं पहुंची।जबकि उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और प्रख्यात दुर्गा मंदिर कुछ ही दूरी पर अवस्थित है एवं इन स्थलों तक पहुंचने का मुख्य मार्ग यही है।

तकरीबन 1000 आबादी वाले  वार्ड के लोगों का जीवन बरसात में नरकीय है। बरसात बाद वार्ड सात से प्रखंड को जोड़ने वाली सड़क किसी झील या संकीर्ण नदी की तरह प्रतीत होती है।एक तो टूटी फूटी कच्ची सड़क पर जल जमाव इस कदर रहता है कि एक बरसात बाद लोगों को 20-25 दिन तक इसके सूखने का इंतजार करना पड़ता है। बरसात के मौसम में तो इसका सूखना नामुमकिन ही रहता है।इलाका बरसात के मौसम में डायरिया, मलेरिया जल जमाव से उत्पन्न होने‌ वाले ऐसे संक्रमित रोगों का प्रकोप बना रहता है।

गृहणी नीतू मिश्रा बताती है कि डायरिया से ग्रसित  गांव के मृदुला देवी की मौत ऐंबुलेंस स्थल‌तक नहीं पहुंच पाने के कारण हो गई ।छोटे बच्चे के टीकाकरण के लिए महिलांए बाहर नहीं जा पाती या सेविका उन तक पहुंच नहीं पाती।सगे संबंधियों सहित दूसरे गांव वाले अपने लड़कों या लड़कियों  की शादी इस गांव करने से हिचकते हैं।बच्चे-बच्चियो  का स्कूल जाना और लौटना किसी ऐवरेस्ट पर पहुंच ने से कम आसान नहीं।

कक्षा छह के सचिन कुमार बताते हैं कि जूता ,मौजा और पैंट बैग में फिर बैग को बड़े प्लास्टिक थैली में रखकर स्कूल आने जाने के लिए इस सड़क को पार करना पड़ता है।कक्षा 9 की ऋचा मिश्रा बताती हैं कि हम कपड़े पहनकर ही पार करते हैं फिर पारकर दूसरे कपड़े पहनते हैं ।गांव के ही अशोक कुमार बताते हैं कि कई बार साईकिल से हम गड्ढे में गिर चुके हैं ।       विनोद मिश्र बताते हैं कि दैनिक कार्य करना इतना मुश्किल है कि 7 दिन का सामान एक साथ घर पर लाते हैं।मंडल जी बताते हैं कि कोई पदाधिकारी कभी इधर हम लोगों की समस्या से रूबरू भी नहीं होने आते जहां सभी गांवों में पी सी सी और पक्की सड़कों का जाल है  हमारे गांव में खरन्जा करण भी नहीं हुआ है।

 

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