भागवत पुराण कथा में बताया गया आत्मा-परमात्मा के रहस्य

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संवाददाता.पटना.बाबा भीखमदास ठाकुरबाड़ी में भागवत पुराण कथा वाचन के तीसरे दिन पंडित विप्लव कौशिक ने संसार में जीव का आगमन,कर्म एवं प्रस्थान पर रोचक तरीके से प्रकाश डाला और आत्मा एवं परमात्मा के चिन्मय व गूढ तत्व को विस्तार से बताया।

पंडित विप्लव कौशिक ने कथा के दौरान समझाया कि मन का भटकाव कैसे होता है?यह मन का बंधन आत्मा से होगा या शरीर से। उन्होंने बताया कि परमात्मा प्राप्ति के दो मार्ग हैं।ज्ञान मार्ग और भक्ति मार्ग।इसी पर कपिल उपाख्यान के माध्यम से देवहुति को उपदेश दिया गया है।

उन्होंने बताया कि ज्ञान मार्ग बंदर के बच्चों के समान होता है।जिसमें पतन होने का खतरा रहता है।भक्ति मार्ग बिल्ली के बच्चे के समान होता है। इसमें कोई खतरा नहीं-सुगम एवं सरल है।

प्रवचन में स्वंभू मनु की पुत्रियां एवं दो पुत्र-आकुति,देवहुत,प्रसुति,प्रियव्रत और उतानपात के प्रसंग की विस्तार से चर्चा की गई।एवं भगवान शिव एवं दक्ष संवाद प्रसंग को भी विस्तार से बताया गया।

गलत कर्मो पर 28 प्रकार के अलग अलग नर्कों की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि पराया धन व स्त्री को हरने,दूसरों से घृणा करने, निरअपराध जीवों को मारकर खाने,वेद विरूद्ध कार्य करने,दूसरों की निंदा करने व द्वेश करने पर किस तरह नर्क में सजा मिलती है।

इसलिए इन सब नर्कों से बचने के लिए भागवतामृत पान करना चाहिए।प्रभु का नाम लेना चाहिए।उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि किस प्रकार नारायण नाम लेने मात्र से अजामिल सभी पापों से मुक्त होकर बैकुण्ठ चला गया।

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