जहर पीने वाले कभी मरते नहीं

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धनंजय कुमार.

30 जनवरी- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि.महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर सबसे पहले सुभाष चन्द्र बोस ने संबोधित किया था. जबकि ‘महात्मा’ का संबोधन सबसे पहले रबिन्द्र नाथ टैगोर ने दिया था. राष्ट्रपिता इसलिए कि वह गांधी ही थे,जिनके विचार और व्यवहार में आजादी के बाद के भारतवर्ष की स्पष्ट संकल्पना थी.जिनके विचार में इंडिया धरती का सिर्फ एक हिस्सा नहीं,बल्कि मानवता का घर था. और महात्मा इसलिए कि इंसान होकर भी वह आम मनुष्यगत विकृतियों से दूर थे. उनका चिंतन जाति, धर्म और प्रांत की सीमाओं में कैद नहीं था, बल्कि वह पूरी मानवजाति के कल्याण के लिए सोचते थे. यही कारण रहा कि अमेरिका के मार्टिन किंग लूथर हों या दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला,सबने गांधी को अपना प्रेरणाश्रोत और मार्गदर्शक माना. और 2007 में पूरी दुनिया ने महात्मा गांधी के जन्मदिन को अहिंसा दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय लिया.

लेकिन विडम्बना है कि अपने ही देश में अनेकानेक ऐसे लोग हैं,जो गांधी को भारत के बंटवारे का कारण मानते हैं, जो मानते हैं कि गांधी हिन्दू होकर भी हिन्दू नहीं थे,मुसलमानों के प्रति उनका ज्यादा लगाव था,जो मानते हैं कि गांधी की वजह से सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री नहीं बन सके,जो समझते हैं कि उन्होंने जानबूझकर भगत सिंह को फांसी हो जाने दी, जो मानते हैं कि गांधी की वजह से ही भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं बना,जबकि देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था. मुसलमानों ने पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र घोषित किया तो भारत हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं बना ?

ऐसे ही प्रतिक्रियावादियों में से एक ने 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ह्त्या कर दी.उसके जैसे सोच वालों ने गांधी की ह्त्या पर ख़ुशियाँ मनाई और मिठाइयां बांटी और उस हत्यारे को कट्टर हिन्दू माना गया.

गांधी की हत्या को आज 69 साल हो गए, लेकिन गांधी आज तक मरे नहीं. पूरे विश्व में सबसे अधिक मूर्तियाँ गांधी की लगी हैं और यह इस बात का परिचायक है कि दुनिया को गांधी की जरूरत है, गांधी ज़िंदा हैं… और तबतक जिन्दा रहेंगे, जबतक मानव सभ्यता बची रहेगी.

यही कारण है कि गांधी के देहावसान के 69 साल बाद भी भारत को कट्टर हिन्दुओं का राष्ट्र बनानेवाले लोग गांधी से भयभीत हैं और गलत सलत तथ्यों और विश्लेषणों के माध्यम से गांधी के खिलाफ जहर और घृणा फैला रहे हैं,ताकि गांधी के चरित्र को भी नष्ट किया जा सके. लेकिन इतिहास सिर्फ गलत तथ्यों और गलत विश्लेषणों पर निर्भर नहीं करता, वह कुछ समय के लिए गलत और कुटिल इतिहासकारों की चपेट में जरूर आ जाता है, लेकिन आखिरकार सत्य सबके सामने प्रकट होता है. खुद गांधी को गलत ठहराने वाले लोग भी गांधी की ह्त्या करनेवाले कथित कट्टर हिन्दू की खुलेआम तरफदारी नहीं कर पा रहे.अगर गांधी गलत थे और उनकी ह्त्या करने वाला सही तो गांधी की जगह उस कट्टर हिन्दू की प्रतिमाएं इन 69 सालों में कमसे कम 6 या 9 जगहों पर लग चुकी होती. जैसे साबरमती का आश्रम दुनिया के लोगों के लिए आज भी दर्शनीय स्थल बना है, वैसे ही कमसे कम कट्टर हिन्दुओं की तीर्थ भूमि गांधी के हत्यारे का घर होता. लेकिन तथ्य यह है कि वही लोग गांधी के हत्यारे का नाम मंच पर लेने से भी डरते हैं.

अगर गांधी का हत्यारा सही था, तो फिर डरना क्यों भाई ? कहो कि वो तुम्हारा नायक है.लेकिन हम सब जो गांधी को नायक मानते हैं, राष्ट्रपिता और महात्मा मानते हैं, वो अच्छी तरह जानते हैं कि तुम ऐसा नहीं कर सकते. और जब ऐसा नहीं कर सकते तो बार बार तुम गांधी को छुप छुप कर बार बार मारने के प्रयत्न करते हो. उसका चरित्र हनन करते हो. दुख की बात है कि सिर्फ कथित कट्टर हिंदू ही नहीं, कट्टर दलित भी गांधी के चरित्रनाश में उठा खड़े होते हैं. लेकिन क्या गांधी को मिटाया जा सकता है? तुम्हारे नायक नहीं मिटा पाए, तो तुम क्या मिटा पाओगे?

हाँ, तुम घृणा से भरे अपने ह्रदय और मस्तिष्क जरूर दुनिया के सामने रख रहे हो. गांधी अजर अमर है. अमृत पीकर कौन अमर हुआ और वो अमर कहाँ है, नहीं मालूम, लेकिन गांधी बिना अमृत पिए अमर हैं, क्योंकि तुम जाहिलों का सृजा जहर पिया है. जहर पीनेवाला अमृत पीने वाले से ज्यादा महान होता है, ये नसीहत की बात आज अपनी गाँठ में रख लो.

 

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