गरीब बच्चों का भविष्य संवारने में जुटी सरिता

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अनूप नारायण सिंह.

पटना.बिहार के हाजीपुर की इस कर्मठ समाजसेवी,सरिता राय,जो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद झुग्गी झोपडी में रहने वाले बच्चों के भविष्य को सँवारने का कार्य कर रही हैं।ये बच्चे जो कूड़ा कचड़ा चुनने, मैले कुचैले व निरक्षरता के बीच बाल मजदूरी करने को मजबूर अपनी जिंदगी बसर कर रहे हैं।

इन गरीब और छोटे बच्चों सरिता के अपने आर्थिक कमाई से से इनके द्वारा चलाऐ जा रहें टॉपर स्टडी पॉइंट “उड़ान” क्लास जहाँ आज पढने वाले बच्चों की संख्या 100 के पार हो चुकी है।सरिता राय कहती हैं कि हमारी संस्था की पूरी कोशिश है कि  इन बच्चों को ये अहसास हो की बाल दिवस उन्ही के लिए है ताकि बाल मजदुरी से ये बाहर निकले और ‘पढोगे तो आगे बढोगे’ का सपना साकार हो सकेगा।

गौरतलब है कि सरिता की  टॉपर स्टडी पॉइंट “उड़ान” जहाँ बच्चों को नि:शुल्क क्लास दी जाती है,को कोई सरकारी मदद नहीं मिलती।पर गरीब असहाय बच्चों को सहायता कर रही है सरिता। शिक्षण संस्था टॉपर टॉपर स्टडी पॉइंट उड़ान उन गरीब और असाहय गरीब बच्चों के शिक्षा के लिए काफी समय से पढ़ने का कार्य करती आ रही जो गरीब बच्चे हैं,होटल, दुकान में काम करते हैं,जो कभी स्कूल नहीं जाते।इनकी लिए जरूरत बनकर उभरी हैं ये और इनकी शिक्षण संस्था.

सरिता कहती हैं,शिक्षादान से बड़ा कोई महादान नहीं। सरिता आगे कहती हैं कि वैसे तो हमारे शास्त्रों में कई तरह के दान का वर्णन है. कोई अन्नदान करता है, तो कोई देहदान कर देता है. कोई वस्त्रों का दान करता है तो कोई रक्तदान को महादान मानता है. हमारी सोसायटी में हम सभी को कई ऐसे दानवीर मिल जाएंगे जो किसी न किसी वजह से कुछ न कुछ दान करते हैं, लेकिन आज के बाजारीकरण के दौर में जहां एजुकेशन कॉरपोरेट व‌र्ल्ड के हाथों में आ गई है. बड़े उद्योगपति अपने रुपयों को एजुकेशन सेक्टर में डालकर मोटी कमाई करने में जुटे हुए हैं. आज इन बच्चों को हमारी जरूरत है। इन जैसे बच्चे यद्दपि भीख मांगने वाले, कूड़ा बीनने वाले और अनाथ बच्चे को मदद करने की इसलिए मैंने निश्चय किया कि इन्हें रास्ते पर लेकर आऊंगी यह संभव तभी हो सकती जब समाज हमारा साथ दें आप लोग हमारा साथ देंl

सरिता राय खुद बतौर शिक्षिका की नौकरी एक प्राइवेट कोचिंग सेंटर में करती हैं और इससे जो आमदनी आती है उनसे ये यहाँ हाजीपुर टॉपर स्टडी पॉइंट उड़ान सामाजिक संस्था के तहत झुग्गी झोपडी में रहने वाले गरीब एवं जरूरतमंद लोगों की शैक्षिक जिंदगी सवारने के लिए लगातार कोशिश कर रही है।

गरीब व मेधावी बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए सरकार ने कई योजनाएं चला रखी है लेकिन जानकारी के अभाव में लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सरकार ने निजी स्कूलों में नामांकन का 25 प्रतिशत सीट गरीब व पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए सुरक्षित रखने का निर्देश दे रखा है।निजी स्कूलों में इस वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क नामांकन लेना है, लेकिन लोगों को इसका व्यापक लाभ नहीं मिल पा रहा है।

सरिता ने समान शिक्षा व समान परवरिश के अधिकार पर काम करने व निजी स्कूलों की मनमानी के विरोध में अभियान चलाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि अमीरों के बच्चे तो निजी स्कूलों में शिक्षा हासिल कर लेते हैं लेकिन गरीबों के बच्चों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है। गरीब वर्ग के बच्चे जानकारी के अभाव में स्कूल तक नहीं पहुंच पाते। जबकि व्यापक रूप से जागरूकता फैला कर ही इस समस्या का हल निकाला जा सकता है।

 

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