जानें…स्वयं कैसे तय करें अपने लिए ग्रह रत्न

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मुकेशश्री.

ग्रह रत्नों को लेकर कई तरह की भ्रांति फैली है, इन भ्रांतियों के फैलने के कई कारण है. इनमें से एक प्रमुख कारण है जानकारी का आभाव.नतीजतन रत्न या जेम्स फाएदे की जगह कभी कभी नुकसान भी कर जाते हैं….और कभी कभी तो बहुत ज्यादा ही नुकसान हो जाता है.
विवाह न हो रहा हो तो पुखराज, मांगलिक हो तो मूँगा. गुस्सा आता हो या चंचलता हो तो मोती या बीपी हो तो मूंगा धारण करने की भ्रांति देश भर में फैली हुई है.जबकि यह पूरी तरह से सही नहीं है.ग्रह की महादशा के अनुसार भी रत्न पहनने की मान्यता है जो पूरी तरह सही नहीं है.जबकि रत्नों का चयन कुंडली का बारिक अध्यन के बाद ही करना चाहिए. इस अध्य्यन में लग्न, नवमांश, बलाबल, दशा-महादशा, ग्रहों की उच्चता या नीचता आदि का अध्य्यन जरुरी होता है.
आपको बताना जरुरी है कि मोती से डिप्रेशन भी हो  सकता है,मूँगा से रक्तचाप
गड़बड़ा भी सकता है और पुखराज से मधुमेह भी हो सकता है.आमतौर पर लग्न कुंडली के अनुसार कारक ग्रहों जैसे लग्नेश, नवमेश और  पंचमेश ग्रहों के रत्न पहनना  शुभ माना जा सकता है कर्मेश और आयेश का रत्न भी पहना जा सकता है.अगर कोई ग्रह शुभ भावों के स्वामी होकर डिग्री से कमजोर या पाप प्रभावित हो या फिर अस्त या हो या शत्रु क्षेत्री होकर पीड़ित या कमजोर हो तो उन्हें मजबूती देने के लिए भी उनके रत्न पहनना  शुभ होता है.
दशा और महादशाओं का रत्न जरुरी नहीं है कि शुभत्व ही प्रदान करे.अगर दशा महादशा तृतीयेश,षष्ठेश,अष्टमेश और द्वादशेश की हो तो भी उसका जेम्स पहनने से अपने को बचाना चाहिए. लेकिन केंद्रेश या त्रिकोणेश महादशा में उस ग्रह का रत्न पहनने से अधिक लाभ मिलता है.(लेखक से मो.नं 9097342912 पर संपर्क किया जा सकता है.)

 

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