जानिए…डिप्रेशन का यह भी है कारण

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डा.मनोज कुमार.

श्रेया के हाथ पीले हुए चार साल हो गए।अपने हुनर व कौशल से ससुराल मे एक आदर्श बहु साबित हो रही है।सबका ख्याल रखती है।पति,बच्चे,सास-ससुर,ननद व खुद अपने माता-पिता की टोह लेना कभी न भूलती।सबको खुश रखती है और सबके लिए अच्छा सोच भी।पत्नी धर्म की बात भी।उनके हाथ के बने व्यंजन सभी चाव से खाते है।

परन्तु खुद श्रेया को दिन के बारह बजे ब्रश करने का मौका मिलता है।संस्कारी बहु है तो सास के हिसाब से पूजा पाठ भी इन्ही के जिम्मे है।कुल मिलाकर रात तक सबको खुश रखने का प्रयास।अपनी इच्छा को बार बार दबाना।खुद के कपड़े गंदे  लेकिन परिवार के सदस्यों के वस्त्र स्वच्छ।अपने हिस्से के वह सभी अच्छे पल दूसरे को देने की लगातार कोशिश।चाह कर भी खुद के लिए समय नही निकाल पाती।

इसके परिणाम स्वरूप- कम सोना व जल्दी जगना,बात बात पर आंसु निकलना, दुनिया से कटे रहना श्रेया में देखी जाने लगी।दर-असल यह सभी लक्षण श्रेया के डिप्रेशन के थे।आजकल गृहणी हो या कामकाजी महिलाएं उनमें अवसाद कब पनप जाता है इसका उन्हें पता तक नही चलता।उनके व्यवहार को सिर्फ देखा जा सकता है।

महिलाएं स्वभाव से भावुक होती है। ज्यादातर कम पढी लिखी महिलाएं डिप्रेश जल्दी होती है और बेचैन जल्दी ।इसका असर आप उनके बच्चे के व्यवहार पर देख सकते है। लेकिन अब श्रेया जैसी ज्यादा पढी लिखी महिलाएं भी खुद को सप्रेश कर डिप्रेश हो रही।अपनी भावनाओं पर काबू रख व वास्तविक जीवन से खुद को जोड़ कर इसपर काबू पाया जा सकता है।

लेकिन यह डिप्रेशन से ग्रसित लोगों के लिए आसान नही होता।उनमें सूझ की भारी कमी होती है।परिवार के सदस्यों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह इन्हें विशेषज्ञ के पास मदद के लिए प्रेरित करें।(लेखक काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट हैं,संपर्क-8298929114(w),9835498113)

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