जानें…वित्त आयोग और नवनियुक्त अध्यक्ष एनके सिंह के बारे में

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मनीष कुमार सिंह.नई दिल्ली.योजना आयोग के सदस्य रह चुके एन.के. सिंह को 15वें वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।उन पर केंद्र-राज्य की वित्तीय मामालों पर वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के प्रभावों को देखने का भी जिम्मा होगा। नए वित्त आयोग की सिफारिशें एक अप्रैल 2020 से शुरू होने वाले पांच साल की अवधि के लिए होंगी।

सरकारी विज्ञप्ति में सोमवार को बताया गया कि वित्त आयोग में पूर्व आर्थिक सलाहकार अशोक लाहिड़ी, नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र और जार्ज टाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अनूप सिंह बतौर सदस्य नियुक्त किए गए हैं। आयोग अक्तूबर 2019 में अपनी रिपोर्ट देगा।

वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के वर्तमान वित्तीय स्थिति, वित्तीय घाटा, ऋण का स्तर, नकदी संतुलन और राजकोषीय अनुशासन की समीक्षा करेगा। आयोग मजबूत राजकोष प्रबंधन के लिए राजकोषीय समेकन का विस्तृत कार्ययोजना की अनुशंसा भी करेगा।संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत वित्त आयोग को सकल कर प्राप्तियों को केंद्र और राज्यों के बीच बंटवारे की संस्तुति करनी होती है। आयोग उस सिद्धांत का सुझाव भी देता है जिसके तहत भारत की संचित निधि के अलावा राज्यों के राजस्व की सहायता के लिए अनुदान दिया जाता है।

क्या है वित्त आयोग ?

वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसका गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत हर पांच साल में होता है। आयोग केंद्र से राज्यों को मिलने वाले अनुदान के नियम भी तय करता है। इसके अलावा, आयोग संबंधित नीति और नियामकों में बदलाव कर इन्हें व्यापार के अनुरूप बनाने के साथ श्रम सुधार को बढ़ावा देने में हुई प्रगति की जांच भी करता है। ज्ञातव्य है कि चौदहवें वित्त आयोग का गठन 2 जनवरी 2013 को हुआ था। इसकी संस्तुतियां 1 अप्रैल 2015 से पांच साल के लिए लागू हुईं थी, जिसका कार्यकाल 31 मार्च 2020 को समाप्त हो जाएगा।

एनके सिंह:एक संक्षिप्त परिचय-

कोलकाता में 27 जनवरी 1941 को जन्म।दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में एम.ए.।दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी शिक्षा ग्रहण की।इसके बाद सिविल सेवा में चयनित हुए।1969-71 में वाणिज्य मंत्रालय में ट्रेड पॉलिसी डिवीजन में अवर सचिव/ उपसचिव।1973-77 उपरोक्त विभाग में प्रभारी मंत्री के विशेष सहायक।

1977-79 बिहार सरकार के सिंचाई विभाग में विशेष सचिव।1979-80 बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के अध्यक्ष।1981 -85 जापान स्थित भारतीय दूतावास में मंत्री (आर्थिक एवं वाणिज्यिक मामले)।1987-90 अतिरिक्त वित्त आयुक्त, बिहार सरकार।

1990 मई- 91 जून : केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव।1991 जून -93 मई : वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामले विभाग में संयुक्त सचिव।1993 मई-95 अगस्त : वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग में अतिरिक्त सचिव।1995 अगस्त-96 जुलाई :व्यय सचिव, सार्वजनिक निवेश विभाग के अध्यक्ष।1996 अगस्त- 98 अगस्त : वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव।1998 अगस्त-2001 अप्रैल:प्रधानमंत्री के सचिव (प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार)।प्रधानमंत्री के व्यापार और उद्योग परिषद के सदस्य सचिव।प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य सचिव।दूरसंचार पर कार्यबल के सदस्य सचिव।इंफ्रास्ट्रक्चर पर गठित कार्यबल के सदस्य सचिव।हाइड्रोकार्बन 2020 पर गठित मंत्रिसमूह के सदस्य के अलावा विभिन्न पदों पर। 2001 मई -2004 जून योजना आयोग के सदस्य (राज्यमंत्री के समकक्ष), ऊर्जा क्षेत्र में निवेश और सुधार पर गठित कार्यबल के अध्यक्ष।2008 में जनता दल (यूनाइटेड)से राज्यसभा के लिए निर्वाचित। इस दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण समितियों में योगदान।इनकी मां माधुरी सिंह और छोटे भाई उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह पूर्णियां लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद योजना आयोग की समाप्ति और नीति आयोग के गठन के मद्देनजर एन. के. सिंह की अध्यक्षता में गठित 15वें वित्त आयोग के कामकाज में भारी तब्दीली रहेगी। इसके साथ ही पंचवर्षीय योजना खत्म कर 15 साल की दीर्घकालिक योजना लागू करने की वजह से 14वें वित्त आयोग की समाप्ति के बाद नए आयोग के कामकाज का स्वरूप बिल्कुल अलग होगा। 14वें वित्तीय आयोग की सिफारिशें वर्ष 2020 तक लागू रहेंगी। इसके बाद 15वें वित्तीय आयोग की रिपोर्ट पर अमल होगा। नए वित्त आयोग का कामकाज पहले की तुलना में काफी भिन्न होगा, क्योंकि उसे दीर्घकालिक योजना के अनुरूप काम करना होगा। आयोग की सिफारिशें पहले जैसी रहेंगी या नहीं, फिलहाल यह भी कहना मुश्किल है।

नीति आयोग के सूत्रों के अनुसार पिछले वित्त आयोगों की तुलना में इस वित्त आयोग का कार्य बिल्कुल अलग है। पहले योजना आयोग था, जिसके द्वारा राज्यों को वित्त आवंटन किया जाता था। लेकिन वह कार्य अब 15वें वित्त आयोग के जिम्मे हो सकता है। दूसरे, जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र एवं राज्यों के करों के पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है। इस बदलाव के चलते केंद्र एवं राज्यों के बीच वित्तीय संतुलन को बेहतर बनाने की चुनौती भी आयोग के समक्ष होगी। दूसरे, जीएसटी लागू होने के बाद करों की वसूली में यदि आरंभिक कमी आती है तो यह भी एक चुनौती होगी। वैसे, भी जीएसटी के तहत राज्यों को क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी केंद्र की है।

 

 

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