बिहार का बेटा रच रहा है इतिहास

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मुकेश महान

खाता है प्रतिदिन 30 अंडे, नहीं पड़ी है मीडिया की नजर

बिहार के स्पोर्ट्स जगत में बॉडी बिल्डिंग, स्पोर्ट्स मॉडलिंग, मसल्स मॉडलिंग, फिटनेस मॉडलिंग भले ही नया या अनजाना शब्द या क्षेत्र हो, लेकिन बिहार का एक बेटा अंशल अग्निवंश इस क्षेत्र में लगातार राष्ट्रीय स्तर पर सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं.

लोयला हाई स्कूल के क्रिकेट टीम के कभी सफल बल्लेबाज और एमआईटी मनिपाल-कर्नाटका से खेलते हुए विश्वविद्यालय टीम के कैप्टन रहे अंशल इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करते करते अब देश के उभरते बॉडी बिल्डरों में अपनी अच्छी पहचान बना चुके हैं. बकौल अंशल वे बचपन से ही बॉडी बिल्डर बनना चाहते थे, लेकिन न माहौल मिल पा रहा था न इसकी कोई जानकारी मिल पा रही थी. यह तो सौभाग्य था कि बंगलोर में पढ़ाई के क्रम में मुझे इसके बारे में कुछ जानकारी मिली. बस जनवरी 2015 में मैंने इसकी तैयारी शुरु कर दी. और मुझे परिणाम भी मिला . तब से अब तक मैंने तीन राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और तीनों में मुझे अच्छी सफलता मिली. जनवरी 2016 में आयोजित होने वाली बॉडी पावर इंडिया प्रतियोगिता के फाइनल के लिए बंगलौर से मेरा चयन हो चुका है .

मसल्स मैनिया प्रतियोगिता में 75 से 80 किलो कैटेगरी में भी देशभर में दूसरा स्थान पाकर अंशल अग्निवंश  काफी खुश हैं. इसका फाइनल नवंबर 2016 में अमेरिका में होना है. अंसल जमकर इसकी तैयारी कर रहे हैं .सितम्बर 2015 में स्पोर्ट्स मॉडल प्रतियोगिता मुंबई में आयोजित की गई थी. अंशल यहां भी टॉप -5 में रहे. इसके पहले अंशल को बेस्ट फिजिक में मनिपाल विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडल मिल चुका है .

अंशल कहते हैं कि अब मेरा गोल ओलंपिया में भाग लेना और वहां पहुंच कर देश के लिए कुछ हासिल करना है. साथ ही स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में यूएसए से मास्टर डिग्री हासिल करना है. अभी-अभी मैंने इंजीनियरिंग की है . अब मुझे स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में डिग्री कर आंत्रप्रेन्योरशिप डेवलप करना है . ताकि मैं अपने फिल्ड में जरुरतमंद लोगों की मदद कर सकूं.

मूल रुप से भदवड़ बड़ाढी (बक्सर) के रहने वाले अंशल के पिता शिवमंजुल भोजपुरी फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर रहे हैं और फिलहाल एक बैंक में कार्यरत हैं.  अंशल कहते हैं अगर मेरे माता पिता का सपोर्ट नहीं मिलता तो मैं यह सब इतनी जल्दी नहीं कर पाता .उन्होंने बताया कि उनका डाइट काफी महंगा होता है उदाहरण के तौर पर वे बताते हैं  कि वे प्रतिदिन 30 अंडे खाते हैं इसके साथ आधा किलो चिकेन दो लीटर दूध ,सेव, संतरा, ड्राइ फ्रुट्स, प्रोटीन शेक, टोंडमिल्क छेना, हरी सब्जी, सलाद, अनानास, पपीता, अनार के साथ रोटी और चावल भी चाहिए. जाहिर है इसके लिए फिनांसियल सपोर्ट जरुरी होता है जो मेरे परिवार ने मुझे दिया. अंशल कहते हैं मैं बिहार का बेटा हूं और बिहार के लिए कुछ करना चाहता हूं. अफसोस इस बात का जरूर है कि बिहार का मीडिया से भी सपोर्ट नहीं मिल रहा है.

 

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