पांच नये मेडिकल कॉलेज की होगी स्थापना- मुख्यमंत्री

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निशिकांत सिंह.

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में स्वास्थ्य विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक करते हुये कहा कि राज्य में पाच नये मेडिकल कॉलेज की स्थापना होगी.
बैठक में यह निर्णय हुआ राज्य में पहले से स्वीकृत एवं कार्यरत मेडिकल कॉलेजों के अलावे एमसीआई के मानक के अनुरूप पांच नये मेडिकल कॉलेज खुलेंगे. सभी मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग कॉलेज होंगे. बिहार के सभी अनुमण्डलों में एएनएम स्कूल की स्थापना होगी. राज्य के सभी जिलों में जीएनएम स्कूल एवं पारा मेडिकल इन्स्टीच्यूट की स्थापना होगी.
बैठक में मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया कि पीएमसीएच, एनएमसीएच एवं आईजीआईसी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का अस्पताल बनाया जायेगा. नीयत समय सीमा के अन्तर्गत कार्रवाई की जाएगी. ये अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से सुसज्जित होगा. पीएमसीएच को ऐसा बनाया जायेगा कि असाध्य रोगों से ग्रसित मरीजों का इलाज अगर किसी भी अस्पताल में नहीं हो पाया है तो उसका इलाज पीएमसीएच में हो सके. मुख्यमंत्री ने यह निर्देश भी दिया कि राज्य के सभी अस्पतालों में निःशुल्क दवा का वितरण निर्बाध रूप से हो. दवा वितरण में हो रही बाधाओं को शीघ्र दूर किया जाय. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि मरीजों के आधार कार्ड को संजीवनी सॉफ्टवेयर से लिंक किया जाय ताकि ऑकड़ों की बेहतर समीक्षा हो सके.
मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया कि सभी जिला अस्पतालों में चार शय्या वाले गहन चिकित्सा यूनिट को दस शय्या वाले आई0सी0यू0 में परिवर्तित किया जाय. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि राज्य के प्रत्येक जिले के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रेडियोलॉजी एवं पैथेलॉजी जॉच की सुविधा मरीजों को प्रदान की जाय. सभी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों में लोक निजी भागीदारी से एमआरआई /सिटी स्कैन मशीन तुरंत स्थापित किये जायें. 212 सामूदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को सुसज्जित कर उसमें चिकित्सकों एवं पारा मेडिकल स्टाफों की कमी को दूर किया जाय. उन्होंने प्रधान सचिव स्वास्थ्य को यह भी निर्देश दिया कि राज्य स्तर पर एक टीम का गठन किया जाय, जो डॉक्टरों एवं पारा मेडिकल स्टाफों की उपस्थिति का औचक निरीक्षण करें. अनुपस्थित पाये जाने वाले डॉक्टरों एवं पारा मेडिकल स्टाफों पर आवश्यक कार्रवाई की जाय. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि चिकित्सकों, नर्स एवं एएनएम की कमियों को अभियान चलाकर दूर किया जाय तथा एमसीआई के कमियों को प्राथमिकता के आधार पर दो-तीन महीने के अंदर दूर किया जाय.
बैठक में मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया कि जननी बाल सुरक्षा योजना के अन्तर्गत प्रत्येक अस्पतालों में मरीजों के डिस्चार्ज के बाद 1400 रूपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है, उसे डिस्चार्ज से पहले दिया जाय. उन्होंने कहा कि जिन व्यक्तियों को शराब की लत लग चुकी है, उस लत को छुड़ाने के लिये हर जिला में एक-एक डी0 एडिक्शन सेन्टर की स्थापना स्वास्थ्य विभाग करेगी, इसके लिये सचिव स्वास्थ्य विभाग पूर्व से ही सारी व्यवस्था करेंगे.
मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में हर हालत में लैंडलाइन फोन फंक्शनल रहे. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लैंडलाइन कनेक्टिविटी नहीं रहने के लिये जिम्मेवार होंगे. परियोजना निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति अपने यहां एक सेल गठित कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करेंगे. उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि एम्बुलेंस के परिचालन में ऑटो मॉनिटरिंग सिस्टम लगाई जाय. जीपीएस सिस्टम के माध्यम से मोबाइल परिचालन का मॉनिटरिंग होगा. उन्होंने समीक्षा बैठक में कहा कि सेक्स रेशियो को दूर करने के लिये लड़कियों के स्वास्थ्य पर पूर्ण ध्यान देना होगा. कालाजार से पीडि़त मरीज को तीस दिनों का मजदूरी नये दर प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी की दर से दें तथा कालाजार के मरीज के साथ आने वाले एटेंडेंट को दो दिनों का वेज लॉस दिया जाय. बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रधान सचिव स्वास्थ्य को कहा कि दूरदराज एवं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की पोस्टिंग होती है, अगर उन्हें विशेष इंटेंसिव देने का कोई प्रस्ताव है तो सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाय. उन्होंने कहा कि शीघ्र हेल्थ इन्वेस्ट पॉलिसी लागू की जाय, इस पॉलिसी के लागू हो जाने से प्राइवेट सेक्टर भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश कर सकेंगे. राज्य स्तर पर निरीक्षण दल का गठन किया जाय, जो डॉक्टरों की उपस्थिति, मरीजों का भोजन एवं अस्पताल के सफाई का औचक निरीक्षण करेंगे और दोषी चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मियों के विरूद्ध आवश्यक कार्रवाई करंगे.
बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावे स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, प्रधान सचिव स्वास्थ्य आर0के0 महाजन, प्रधान सचिव वित रवि मितल, मुख्यमंत्री के सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा, परियोजना निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति जितेन्द्र श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, डा. एच. डी. दिवाकर सहित सभी संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे.

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