अब सात दिन के बदले तीन दिन में धरती का चक्कर लगाएगा गगनयान

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Gaganyaan

संवाददाता.पटना. अब सात दिन के बदले तीन दिन में धरती का चक्कर लगाएगा गगनयान। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की पहले योजना के अनुसार वह अपने पहले ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन (First Human Spaceflight Mission) के दौरान गगनयान (Gaganyaan) से भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को धरती के चारों तरफ सात दिन चक्कर लगवाने वाल थे। लेकिन अब इस योजना में बदलाव किया गया हैं ,अब सिर्फ तीन दिन के लिए गगनयान धरती के चारों तरफ चक्कर लगाने के लिए छोड़ा जाएगा।
इस बदलाव के बारे में ह्यूमन स्पेसफ्लाइट सेंटर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने जानकारी देते हुए बताया है कि गगनयान को फिलहाल तीन दिन अंतरिक्ष में भेजने की प्लानिंग है। लगातार इस मिशन में डेवलपमेंट हो रहे हैं।  कई बार कमियां भी मिलती हैं, उन्हें ठीक किया जाता है। ये भी हो सकता है कि इस मिशन में तीन के बदले एक ही अंतरिक्षयात्री जाए।
वैज्ञानिक ने इस नए गगनयान का मॉडल लोगों के सामने प्रदर्शित करते हुए बताया है कि यह आकार में असली गगनयान के बराबर है। लेकिन इसके अंदर की तकनीक, बैठने की व्यवस्था, टॉयलेट, खाने-पीने का अरेंजमेंट, सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की प्रणाली, नेविगेशन सिस्टम आदि सबकुछ बदला जा सकता है। गगनयान धरती से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित लोअर अर्थ ऑर्बिट में हमारे धरती  के चारों तरफ चक्कर लगाएगा।
इस मिशन के सुरक्षा  के बारे में पूछे जाने पर  ISRO के वैज्ञानिक ने बताया कि यह मिशन ऐसा है कि जिसमे किसी  तरह की गलती स्वीकार नहीं की जा सकती, क्योंकि इस मिशन पर  भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के काबिल पायलटों को भेजा जाएगा जिनकी जान इस देश के लिए बहुत कीमती हैं। उन्हें मिशन पर भेजने से पहले उनके  कई परीक्षण होंगे।  अगले साल लॉन्चिंग की तैयारी है लेकिन ज़रुरत पड़े तो आगे-पीछे हो हो सकता है, क्योंकि इस मिशन में किसी तरह की गलती नहीं करना चाहते।
इस गगनयान मिशन के लिए ISRO ने 13 मई 2022 को आंध्र प्रदेश में स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में ह्यूमन रेटेड सॉलिड रॉकेट बूस्टर यानी HS200 का सफल परीक्षण किया था। इस बूस्टर को जीएसएलवी-मार्क3 (GSLV-MK3) रॉकेट के एस200 बूस्टर की जगह लगाया जाएगा।  इस बूस्टर के और भी टेस्ट होने हैं।  इससे पहले इसरो ने 14 जुलाई 2021 विकास इंजन लॉन्ग ड्यूरेशन हॉट टेस्ट का तीसरा सफल परीक्षण किया।  यह इंजन GSLV-MkIII रॉकेट के लिक्विड स्टेज में लगाया जाएगा।
तमिलनाडु स्थित महेंद्रगिरी में इसरो के प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (ISRO Propulsion Complex – IPRC) में विकास इंजन को 240 सेकेंड्स चलाया गया।  इस ट्रायल में इंजन ने तय मानकों पर खुद को खरा साबित किया।  इसने सारे संभावित गणनाओं को पूरा किया और बेहतर तरीके से परफॉर्म करके दिखाया।  आपको बता दें कि इसी इंजन को  को रॉकेट अलग-अलग स्टेज में लगाया जाएगा, जो गगनयान कैप्सूल को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा।
गगनयान में भेजे जाने वाले एस्ट्रोनॉट यानी  गगननॉट्स बने के लिए भारतीय वायुसेना के चार पायलटों ने रूस में अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली है. इन्हें मॉस्को के नजदीक जियोजनी शहर में स्थित रूसी स्पेस ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट्स बनने का प्रशिक्षण दिया गया था।  गैगरीन कॉस्मोनॉट्स ट्रेनिंग सेंटर में भारतीय वायुसेना के पायलटों की ट्रेनिंग हुई  भारतीय वायुसेना के चार पायलट जिनमें एक ग्रुप कैप्टन हैं।बाकी तीन विंग कमांडर हैं, उन्हें गगनयान के लिए तैयार किया जा रहा है।  फिलहाल इन्हें बेंगलुरू में गगनयान मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी जाएगी।

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