जारी हुआ आर्थिक सर्वेक्षण,उपलब्धियों का पिटारा

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Economic survey

संवाददाता.पटना.पिछले दशक(2011-20) के दौरान देश में परिवहन,भंडारण एवं संचार के क्षेत्र में सर्वाधिक 14.4 प्रतिशत वृद्धि दर बिहार में दर्ज की गई।यह सड़क एवं पुल क्षेत्र में गत 15 वर्षों के दौरान किए गए उच्च सार्वजनिक निवेश का परिणाम है।परिवहन विभाग ने नागरिक-हितैषी सेवाओं,पथ सुरक्षा आदि में सुधार लाने के लिए हाल के वर्षों में अनेक पहल किए हैं और 2018 से 2020 तक के तीन वर्षों के अंदर पांच राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए हैं।बिहार विधान मंडल में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में यह बताया गया है।
   संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी देते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री- सह- वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बताया कि लॉकडाउन के प्रभाव के कारण बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2020-21 में मात्र 2.5 प्रतिशत बढा।लेकिन यह प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था 2020-21 में वस्तुत 7.5 प्रतिशत सिकुड़ गई।वर्तमान मूल्य पर बिहार की प्रति व्यक्ति आय 2020-21 में 50,555 रू. थी जबकि भारत की 86,659 रू थी।गत पांच वर्षों में (2016-17 से 2020-21) बिहार में प्राथमिक क्षेत्र 2.3 प्रतिशत,द्वितीय क्षेत्र में 4.8 प्रतिशत और तृतीय क्षेत्र में सर्वाधिक 8.5 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढा।
   उन्होंने कहा कि कोविड -19 महामारी के कारण 2020-21 वित्त व्यवस्था को लेकर कठिनाइयों वाला वर्ष था।राज्य सरकार ने इस चुनौती का जवाब अपने वित्तीय संसाधनों के सर्वोत्तम संभव उपयोग के जरिए दिया।वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार का कुल व्यय गत वर्ष की अपेक्षा 13.4 प्रतिशत बढकर 1,65,696 करोड़ पहुंच गया।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार गत पांच वर्षों में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र 2.1 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढा।उप क्षेत्रों के बीच पशुधन एवं मत्स्यपालन की वृद्धि दर क्रमश: 10 और 7 प्रतिशत रही है।वर्ष 2020-21 में कुल खाद्यान उत्पादन रिकार्ड 17.95 लाख टन होने का अनुमान है।बिहार में हाल के वर्षों में आशाजनक औद्योगिक विकास हुआ है।बिहार में औद्योगिक निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने अनेक नीतिगत उपाय किए हैं और समर्पित संस्थानों की स्थापना की है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार बिहार ने जिन क्षेत्रों में काफी प्रगति की है,उनमें से एक ऊर्जा क्षेत्र भी है।राज्य में ऊर्जा की प्रति व्यक्ति खपत 2014-15 के 203 किलोवाट आवर से बढकर 2020-21 में 350 किलोवाट आवर हो गई है।बिहार में ऋण-जमा अनुपात 2019-20 के 36.1 प्रतिशत से बढकर 2020-21 में 41.2 प्रतिशत हो गया जबकि संपूर्ण भारत के स्तर पर यह 76.5 प्रतिशत से घटकर 71.7 प्रतिशत रह गया।

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