हिंदू की संस्कृति और चिंतन ही भारत की संस्कृति और चिंतन- मिलिंद परांडे

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Milind Parande

पटना.बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले के खिलाफ भारत सरकार,बांग्लादेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर दबाव बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद आक्रोश प्रदर्शन कर कड़ा मैसेज दे रहा है।हिंदुओं पर और उनकी धार्मिक भावनाओं पर देश-विदेश में हो रहे प्रहार को विहिप ने गंभीरता से लिया है।वर्तमान समय में हिंदुओं के सामने आई इन्हीं चुनौतियों पर आदर्शन समाचार के संपादक प्रमोद दत्त ने विश्व हिंदू परिषद के केन्द्रीय महामंत्री श्री मिलिंद परांडे से विस्तृत बातचीत की।प्रस्तुत है बातचीत का प्रमुख अंश–
प्रश्न-बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसक घटनाओं पर क्या सोचता है विहिप ?
– बांग्लादेश की घटनाओं से हिंदू समाज बेहद आहत है।बांग्लादेश सरकार अपने अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए जिहादियों पर अंकुश लगाए तथा पीड़ित हिंदुओं के नुकसान की भरपाई,मृतक व धायलों को उचित मुआवजा दे।भारत सरकार के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं की जानमाल और उनकी धार्मिक मान्यताओं की सुरक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार पर उचित कार्रवाई के लिए दबाव बनाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र और इससे संबंधित एजेंसियों का इस घटना पर चुप्पी चिंताजनक है।जब भी हिंदुओं के मानवाधिकारों की रक्षा की बात आती है तो वे कार्रवाई से पीछे हट जाते हैं।बांग्लादेश सरकार जिहादियों को अविलंब गिरफ्तार कर कड़ी सजा दे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने हेतु कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करे।
प्रश्न- अखंड भारत से अलग हुए हर देशों में अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा बड़ी समस्या बनती जा रही है?
      -पाकिस्तान,बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों में हिंदू जीवन और हिंदू चिन्हों के ऊपर बहुत बड़ा संकट है।प्राणान्तिक संकट है।करोड़ों की आबादी वहां नष्ट हो गई।या देश छोड़कर चले गए या जान से मारे गए।बड़ी संख्या में धर्मान्तरण भी हुआ।जो बचे हुए हैं उनका जीवन बहुत भयानक कष्टों से भरा है।शेष जगह उतना संकट नहीं है।
प्रश्न- हिंदुओं के सामने कौन- कौन सी चुनौतियां हैं?
– दुर्भाग्य से अपने अंदर कुछ सामाजिक कुरीतियों ने प्रवेश किया है।छुआछूत,दहेज,भ्रूणहत्या,आदि कुरीतियों का हिंदू धर्म तत्वज्ञान को मान्य नहीं है।इनसे समाज को मुक्त करना आंतरिक चुनौती है।इसके अलावा शोषणमुक्त, समतायुक्त,समरसतायुक्त समाज बने।कई बाहरी चुनौतियां हैं।भोले-भाले हिंदुओं को धर्मान्तरित करने के लिए ईसाई व मुस्लिम संगठन,वैश्विक शक्तियां लगी हुई हैं।हमारे लिए आस्था और कृषि व दैनिदीनी जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखनेवाली गोवंश की हत्या,लव जेहाद के माध्यम से साजिश की जा रही है।इसके अलावा घुसपैठ- बांग्लादेशी घुसपैठ,रोहिंग्या घुसपैठ हो रही रही है जिनका हमारे संविधान और यहां की हिंदू संस्कृति से उनका कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं है।करोड़ों की संख्या बढने से डेमोग्राफिक परिवर्तन के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा की समस्याएं खड़ी की जा रही है।नेपाल की सीमा से तमिलनाडु-केरल तक 160 से अधिक जिले नक्सल हिंसा से प्रभावित है।यह एक बड़ी चुनौती है।पश्चिमी भोगवाद के फलने फूलने से हमारी आध्यात्मिक परम्परा हिंदू परम्परा को चोट पहुंच रही है।
प्रश्न- इसके लिए राजनीतिक विचारधारा कितना दोषी है?
– राजनीति के क्षेत्र में दुर्भाग्य से हिंदू हित ही राष्ट्रहित है- इसकी मान्यता नहीं हो रही है।हिंदू-हित ही राष्ट्र-हित   यह सभी राजनीतिक दलों के लिए श्रद्धा का विषय होना चाहिए।इसके अलावा राष्ट्रीय चरित्र कमजोर हुआ है।समाज-हित में राष्ट्र-हित है-वही बोलूंगा,वही सोचूंगा,आचरण में लाऊंगा-यह भाव कम हो गया है।इसके कारण बहुत सारे खतरे हमारे समाज,देश,धर्म,संस्कृति के ऊपर खड़े हो गए हैं।
प्रश्न- राममंदिर निर्माण से देश के हिंदू गौरान्वित महसूस कर रहे हैं,विश्व स्तर पर कैसी प्रतिक्रिया है?
– राम जन्मभूमि आंदोलन व मंदिर निर्माण ने एक जबरदस्त जागरण का काम किया है।पहले हिदुओं को गाली देकर भी इस देश में यशस्वी राजनीति कर सकते थे।मगर राम जन्मभूमि के बाद एक परिणाम यह हुआ कि हिंदु की अनदेखी करके इस देश की राजनीति अब कोई नहीं कर सकता-यशस्वी राजनीति तो कतई नहीं। समाज के विचार के केन्द्र में हिदुत्व आ गया है।आजतक हिंदू को राइटिस्ट सोच कहते थे।मैं मानता हूं कि यह न राइटिस्ट,न राइटविंग बल्कि यह भारत की सेन्ट्रल सोच है।अभी हम मध्यमार्गी हैं और वही मुख्य मार्ग है।भारत में हिंदुत्व का गौरव जैसे-जैसे बढ रहा है अनेक देशों में फैले हिंदू समाज में भी गौरव का भाव जाग रहा है।
प्रश्न- जब भी राष्ट्रवाद की बात की जाती है तो उसे सांप्रदायिक क्यों कहा जाता है?
– एक तो राष्ट्रवाद नहीं- हम राष्ट्रीयता की बात करते हैं।जब हम राष्ट्र की बात करते हैं तो नहीं समझ पाने के कारण भी भ्रम होता है।लोग ऐसा सोचते हैं कि हम हिंदू राष्ट्र की बात कर रहे हैं।तब लोग सोचने लगते हैं कि जैसे इस्लामिक राष्ट्र या इस्लामिक राज्य है।जबकि ऐसा नहीं है।राष्ट्र की ऐसी संकल्पना भू-सांस्कृतिक है।हम जो बात कर रहे हैं वह जियो कल्चरल कॉन्सेप्ट है।यहां पर देश की सीमाओं का भी बंधन नहीं है।राष्ट्र में संस्कृति,पूर्वज, अपमान-स्वाभिमान सभी समान है।राष्ट्र पहले भी था,आज भी है और आगे भी रहेगा।हिंदू का इतिहास ही भारत का इतिहास है।हिंदू की संस्कृति ही भारत की संस्कृति है।हिदू का चिंतन ही इस देश और राष्ट्र का चिंतन है।और इसीलिए हिंदू-हित ही इस राष्ट्र व देश का हित है।
प्रश्न- बार-बार हुए विदेशी हमलों के बावजूद विश्व की प्रचीनतम सनातन-संस्कृति मजबूती के साथ अस्तित्व में है,कौन सी ताकत है इसके पीछे?
   – इसके दो-तीन कारण हैं।हमारी अत्यन्त चिरंजीवी सामर्थशाली आध्यात्मिक शक्ति और चिंतन-ये मूल प्राण हैं।इसे कोई समाप्त नहीं कर सकता है।इसका पालन करनेवाला हिंदू समाज,यह मोक्षभूमि,सभ्यता का कोई नाश नहीं कर सकता है। हिंदू चिंतन कृतज्ञता का भाव रखता है।इनसे पृथ्वी व पर्यावरण का नुकसान नहीं होता है।इसमें सभी के प्रति कल्याण का भाव है।हम संपूर्ण विश्व के कल्याण की बात करते हैं।इसमें किसी का विरोध करने वाली सोच नहीं है।इसके विपरीत विश्व में ईसाई और इस्लाम जैसा चिंतन है जो कहता है- हमारा मार्ग ही चलेगा,दूसरा मार्ग नहीं चलेगा।हम कहते हैं कि सभी मार्ग से भगवान की प्राप्ति होती है।इतनी बड़ी भूमि पर 100 करोड़ हिंदू टिका हुआ है जो किसी की दया पर नहीं बल्कि पूर्वजों का पराक्रम भी था।हमारी बड़ी आबादी के कारण भी कोई हमें समाप्त नहीं कर सका।इसलिए जनसंख्या नियंत्रण पर विहिप का स्पष्ट मत है कि हर हिंदू परिवार में कम से कम दो बच्चे होने ही चाहिए।आबादी हमारा बहुत बड़ा सुरक्षा कवच है।इसके अलावा कभी भारत विशाल देश था।बड़े देश होने का कारण इसे कोई समाप्त नहीं कर सका।इसलिए हमारी आकांक्षा है कि अखंड भारत पुन: बनना चाहिए।जो भूमि हाथ से चली गई वह फिर देश में समाहित हो।अखंड भारत का संकल्प संपूर्ण हिंदू समाज के ह्रदय में दृढ रहना चाहिए।

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