तेजस्वी कर रहे हैं जनादेश का अपमान

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प्रमोद दत्त.

पटना.महागठबंधन से रिश्ता तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बनाने पर नीतीश कुमार पर जनादेश का आरोप लगाने वाले प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव खुद 2021 चुनाव में प्राप्त जनादेश का अपमान कर रहे हैं.सशक्त विपक्ष का जनादेश प्राप्त करने वाले राजद नेता तेजस्वी यादव एक के बाद एक ऐसा कदम उठा रहे हैं जो जिम्मेदार विपक्ष का नहीं माना जा सकता है.

हालांकि जनादेश का अपमान तब भी हुआ था जब 2014 में नीतीश कुमार ने भाजपा से संबंध तोड़ा था तब अल्पमत की नीतीश सरकार को बचाने के लिए लालू प्रसाद ने बिना मांगे समर्थन देकर नीतीश सरकार को बचाया था.तब भाजपा ने इसे जनादेश का अपमान बताया था.

सदन के अंदर सरकार के कामकाज की आलोचना करना,गलत काम का विरोध करना विपक्ष का धर्म है.लेकिन विरोध मर्यादापूर्ण होना लोकतंत्र की शोभा है.1985-90 के दौरान कर्पूरी ठाकुर प्रतिपक्ष के नेता थे.उनके दल लोकदल के विधायकों की संख्या भी 33-34 ही थी.लेकिन एचईसी (रांची) के मुद्दे पर उन्होंने अपने विधायकों के साथ कई दिनों तक 24 घंटे सदन के अंदर धरना देकर अपना विरोध दर्ज किया था.न हिंसा न असंसदीय व्यवहार किए उन्होंने विपक्ष के धर्म का निर्वाह किया था.

सरकार का काम है विधेयक लाना और कानून बनाना या संशोधन करना.विपक्ष का दायित्व है कि उस विधेयक पर चर्चा कर विधेयक की कमियों को सामने लाना.कई ऐसे मौके भी आए हैं जब विपक्ष के संशोधन को सत्ता पक्ष द्वारा स्वीकारा गया और उसे विधेयक में जोड़ा गया.लेकिन विधेयक पर चर्चा न कर उसे वापसी की जिद करना और सदन से लेकर सड़क तक अमर्यादापूर्ण व्यवहार करने को जिम्मेदार विपक्ष नहीं कहा जा सकता है.सदन के बाहर विधेयक की कमियां बताकर हंगामा करके एक-दो दिनों तक मीडिया के सुर्खियों में तो विपक्ष आ गया लेकिन पुलिस विधेयक पारित होने के दौरान सदन की कार्यवाही में विपक्ष की बातें नहीं आ पाई. विपक्ष की अनुपस्थिति में विधेयक पर सिर्फ सत्तापक्ष की बात रिकार्ड हुई.इसे भी विपक्ष द्वारा जनादेश का अपमान ही कहा जा सकता है.

अपने विधायकों (माननीय) की प्रतिष्ठा के सवाल पर तेजस्वी यादव ने चेतावनी दी है कि मुख्यमंत्री  माफी मांगें अन्यथा उनकी पार्टी के सदस्य अगले सभी सत्रों का बहिष्कार करेंगे.मुख्यमंत्री ने विधान सभा  परिसर में कार्रवाई का अधिकार स्पीकर का बताकर तेजस्वी की चेतावनी को तरजीह नहीं दी है.ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि तेजस्वी यादव अगले सभी सत्रों के बहिष्कार पर कायम रहते हैं या नहीं.अगर तेजस्वी अपनी घोषणा पर टिके रहते हैं तब 2021 में प्राप्त जनादेश का वो अपमान करेंगे.क्योंकि एनडीए को जहां सरकार चलाने का वहीं राजद को सशक्त विपक्ष का जनादेश मिला है.सदन से विपक्ष गायब रहेगा तो हर मुद्दे पर सत्तापक्ष को वाकओवर मिल जाएगा. इसके लिए राजद को कटघरे में खड़ा किया जाएगा.

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