रांची। रांची से 70 किमी दूर रांची-जमशेदुपर मार्ग पर दिउड़ी गांव में सोलहभुजी मां दुर्गा विराजती हैं। आस्था और विश्वास का यह अद्भुत केंद्र है। मां का यह मंदिर भी अति प्राचीन है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर आदिवासी पाहन और ब्राह्मण दोनों पुजारी हैं। दशहरा में यहां बलि देने की प्रथा है। गर्भगृह में मां की 16 भुजी प्रतिमा स्थापित है। मां की प्रतिमा साढ़े तीन फीट ऊंची है।
मंदिर के निर्माण की कई कहानियां हैं। कहते हैं,सिंहभूम के केरा के राजा अपने दुश्मनों से पराजित होकर दिउड़ी पहुंचे। वह अपने साथ देवी की प्रतिमा भी लेकर आए और उसे वेणु वन में जमीन के अंदर छिपा दिया था। कुछ दिनों बाद मंदिर का निर्माण कर प्रतिमा स्थापित की गई। दूसरी कथा के अनुसार ओडिशा के चमरू पंडा साल में दो बार तमाड़ के राजा को तसर बेचने आते थे। राजा के आग्रह पर वे यहीं बस गए। वे जंगल में तपस्या करने लगे। तपस्या करते समय एक दिन लगा कि मां उनसे मिलना चाहती हैं। ये बातें जानने के बाद राजा ने जंगल साफ करवाना शुरू किया।शाम होने पर वे लौट आए। दूसरे दिन देखा कि वहां एक मंदिर खड़ा है। कुछ लोग मानते हैं कि कलिंग अभियान के दौरान महान सम्राट अशोक ने इसका निर्माण करवाया।एक कथा असुरों से भी जुड़ी है। राज्य में मुंडाओं के आगमन से बहुत पहले से असुर रह रहे थे।
लाखों आदिवासी-गैरआदिवासी भक्तों के अलावा क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी भी मां के परम भक्त हैं।वर्षों से वे यहां आते रहे हैं।धोनी जब भी कोई बड़ी सीरीज खेलते इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होती रही।