सात दिनों में इच्छुक लोगों को बिहार वापसी की व्यवस्था करने का सीएम का निर्देश

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संवाददाता.पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिया कि 7 दिनों के अन्दर अन्य राज्यों से बिहार आने वाले बिहार के इच्छुक लोगों के वापस आने की पूरी व्यवस्था की जाय। इसके लिये रेलवे तथा अन्य राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर सभी आवश्यक तैयारी सुनिश्चित की जाय। उन्होंने पटना तथा अन्य शहरों में फंसे लोगों को वापस भेजने के लिये समुचित व्यवस्था करने तथा गाइडलाइंस के अनुरूप एसओपी में प्रावधान करते हुये इससे सभी को अवगत कराने का निर्देश दिया। 

मुख्यमंत्री ने कोविड-19 महामारी के प्रभावी नियंत्रण, निगरानी, रोकथाम एवं लोगों को दी जा रही राहत के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से उच्चस्तरीय समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिया।

बैठक के दौरान स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि अब तक राज्य में 707 कोरोना पॉजिटिव मरीज पाये गये हैं। 4 से 10 मई के बीच बिहार आनेवाले 150 व्यक्तियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। इनमे गुजरात के 33, महाराष्ट्र के 36, एन०सी०आर० के 41, तेलांगना के 10, हरियाणा के 3 सहित अन्य राज्यों से आयें प्रवासी शामिल हैं। बिहार आनेवाले प्रवासियों को क्वारंटाइन किया जा रहा है। प्राथमिकता के आधार पर रेड जोन से आनेवाले लोगों की रैंडम जांच की जा रही है। कोरोना पॉजिटिव लोगों का आइसोलेशन में ट्रीटमेंट किया जा रहा है। टेस्टिंग क्षमता में वृद्धि करने की दिशा में विभागीय स्तर पर कार्रवाई की जा रही है ताकि लोगों को जिला स्तर पर टेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध करायी जा सके।

आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने ब्लॉक क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य के विभिन्न क्वारंटाइन सेंटरों में 1 लाख 32 हजार 226 लोग आवासित हैं और वहां सभी आवश्यक व्यवस्थायें सुनिश्चित करायी गयी हैं। 172 आपदा राहत केंद्र चलाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक ब्लॉक क्वारंटाइन सेंटर पर 3 लाख 75 हजार जबकि पंचायत स्तरीय क्वारंटाइन सेंटर पर 2 लाख 42 हजार लोगों को क्वारंटाइन करने की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गयी है। क्वारंटाइन सेंटर की निरंतर मॉनिटरिंग की जा रही है। उन्होंने बाया कि बाहर से आ रहे लोगों की संख्या को देखते हुये क्वारंटाइन सेंटरों की संख्या बढ़ाई जा रही है। बैठक में प्रधान सचिव खान एवं भूतत्व श्रीमती हरजोत कौर ने बताया कि 20 अप्रैल से सभी स्टोन माइंस एवं 4 मई से बालू निकासी का काम शुरू हो चुका है।

समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि सभी ग्राम पंचायतों में कोरोना संक्रमण से लोगों की सुरक्षा के लिये ग्राम पंचायत के सभी परिवारों को सरकार की तरफ से साबुन और चार मास्क दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि माइकिंग के माध्यम से लोगों को कोरोना संक्रमण के संबंध में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जाय तथा कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु लोगों को जागरूक किया जाय।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाहर से आ रहे लोगों की रैंडम कोरोना जांच से काम नहीं चलेगा। बाहर से आ रहे लोगों की अधिक से अधिक संख्या में कोरोना जांच की जाय। इसके लिये पूरी तैयारी करें। जांच की क्षमता बढ़ायी जाय, तभी कोरोना चेन को तोड़ा जा सकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाहर से आ रहे लोगों की बड़ी संख्या को देखते हुये प्रखण्ड एवं पंचायत स्तर पर क्वारंटाइन सेंटर की संख्या उसी अनुपात में बढ़ाई जानी चाहिये। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक इसका अनुश्रवण करेंगे। क्वारंटाइन सेंटरों पर साबुन, सेनिटाइजर आदि की उपलब्धता पर्याप्त संख्या में सुनिश्चित किया जाय। सभी जिलों में आइसोलेशन बेड की संख्या बढ़ायी जाय। सभी जिलों में कोरोना टेस्टिंग की व्यवस्था उपलब्ध हो इसके लिये स्वास्थ्य विभाग आवश्यक कार्रवाई करे। बढ़ते हुये कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुये अतिरिक्त वेंटिलेटर्स की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। उन्होंने कहा कि अभी तक बिहार को कम संख्या में जांच किट्स मिल रही हैं क्योंकि राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कम है। बाहर से आ रहे लोगों के कारण कोरोना संक्रमण बढ़ रही है। इसे देखते हुये अधिक संख्या में जांच किट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जाय।

मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्माण कार्यों में निर्धारित गाइडलाइन का पालन करते हुये तेजी लायी जाय। निर्माण सामग्रियों यथा बालू, गिट्टी, सिमेंट एवं ईंट की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया जाय। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के कार्यों को बढ़ायें, सभी जिलाधिकारी इसका अनुश्रवण करेंगे। स्किल सर्वे के आधार पर रोजगार सृजन की कार्रवाई की जाय, आवश्यकतानुसार इनसे संबंधित निर्माण इकाईयों की स्थापना राज्य में ही करने हेतु समुचित कार्रवाई की जाय तथा राज्य में संचालित इकाइयों की भी क्षमता बढ़ाकर श्रमिकों को उनके स्किल के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाय ताकि श्रमिकों को यहीं पर स्थायी रूप से रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।

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