दानवरूपी डॉक्टरो के सामने शर्मसार हुई मानवता

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राजन मिश्रा.बक्सर.बक्सर के प्राईवेट नर्सिंग होम और दानवरुपी डॉक्टरों से जिले के लोग परेशान हैं.सिविल सर्जन कार्यालय में चल रहे तबादलों के दौर और इस कार्यालय में चल रहे हैं कार्यों के निष्पादन का सही तरीके से नहीं होने के कारण शहर में चलने वाले प्राइवेट अस्पतालों की चांदी हो गई है. इनको कोई जांच करने वाला है जिसका नाजायज फायदा उठाया जा रहा है.

दूरदराज के क्षेत्रों में इस शहर में चल रहे अस्पतालों के दलाल भरे पड़े हैं जिनके माध्यम से रोगियों को यहां लाया जाता है और एक बार रोगी जब इन अस्पतालों के चंगुल में फंस जाते हैं तो उनके परिजनों को रुपए का इंतजाम करते-करते घर-खेत-जेवर सब गिरवी रखना पडता है.  अस्पताल वालों को जब इनके मनमानी बिलों का भुगतान नहीं हो पाता तो यह लोग मोबाइल और सामान तक भी गिरवी रखने से नहीं चूकते हैं.

ये लोग इतने क्रूर हो गए हैं कि आई सी यू के नाम पर मरीजो को नशे का इंजेक्शन देकर आईसीयू में ठुसे रहते हैं और जब इनके परिजन इनसे मिलने की कोशिश करते हैं तो यह लोग बेहोशी की अवस्था में मरीज को दिखाकर यह बताते हैं कि मरीज की हालत बहुत ही गंभीर है और इसे अभी एक-दो दिन और आईसीयू में रखना होगा. जब इनके आई सी यू का मुआयना किया जाएगा तो सरकारी अस्पताल के आईसीयू से गुणवत्ता मे कई गुने गिरे स्थिति में है इनकी आई सी यू की ऐसी व्यवस्था है जहॉ बाहरी लोगो के लिये जूते चप्पल ले जाना तो मना है लेकिन इनके लोग जूतो चप्पलो के साथ ही मिलेगे.

इसी तरह के एक मामले मे रवि पांडे नाम के एक लडके को जिले के राजपुर गॉव से एक स्थानीय डॉक्टर को दिखाने के बाद उसकी मॉ रिंकू देवी बक्सर शहर मे चल रहे एक प्राईवेट अस्पताल जो अनारकली के नाम से चलता है वहॉ लेकर यहॉ पहुची जिसके पास केवल दो हजार रूप्या ही था. अपनी सारी परिस्थितियां बताने के बाद लडके के पेट फूल जाने की बातें कही इसके बाद डॉक्टरो द्वारा कुछ इंजेक्शन दिया गया और कुछ देर बाद ही रवि पांडे लडखडाने लगा बेहोशी की अवस्था बताकर इसे आई सी यू मे डालते हुये पैसा का इंतजाम रिंकू देवी से करने को कहा गया. इसके बाद रिश्तेदारो से लगभग 25000 रूपया का व्यवस्था मिला जो इनलोगो ने दवाओ में ही लगा दिया. बिल मॉगने पर कच्चा चिठ्ठा दिया इसके बाद जब आई सी यू से उसे निकाल कर घर ले जाने के बात की जाने लगी तो डॉक्टरों ने इनको एक दोबारा बिल दिया जो सादे कागज पर है.जिसमें लगभग ₹35000 का बिल था.इस गरीब के पास कुछ भी बचा नहीं था कि अस्पताल का पैसा चुकता कर पाती. लेकिन अपने लड़के को घर ले जाने की चाह में इसने बाकी लोगों से चंदा के रूप में कुछ पैसा इकट्ठा किया अपने मोहल्ले वालों से अपने बाकी बचे रिश्तेदारों से किसी तरह पैसे का व्यवस्था किया जिसमें लगभग ₹5000 कम हो रहे थे जब ₹5000 बाद में देने की बातें हुई तो अस्पताल प्रबंधक द्वारा इनका मोबाइल SIM निकाल कर रख दिया गया और कहा गया कि पैसा देकर अपना मोबाइल ले जाना. ऐसी परिस्थिति में अपने बच्चे को अस्पताल से निकालने के लिए महिला द्वारा मोबाइल भी रख दिया गया और बाद में पैसे देकर मोबाइल लाया गया .

गौरतलब है कि भगवान माने जाने वाले कुछ डॉक्टर इस जिले में दानवी रुप दिखा रहें हैं. हैरतअंगेज बाते यह है कि इस जिले मे एक ही डॉक्टर का बोर्ड कई जगहो पर देखे जा सकते है जहॉ ये बैठते तो नही है लेकिन मरीजो को फंसाने का केन्द्र बना रखा है.अब सवाल यह उठता है कि इन नामी गिरामी लोगो पर कारवाई क्यो नही होती?

इसके पीछे कारण यह होता है कि यह लोग अपने अस्पताल के संरक्षण के लिए कुछ दबंगों को अपने पाले में रखते हैं जिनके माध्यम से इनके गलत कार्यों को उजागर करने वाले लोगों को धमकी दी जाने लगती है. आलम यह है कि जब कहीं से सूचना इन्हें मिलती है कि इनके खबरों को उजागर किया जाने वाला है ऐसी स्थिति में यह लोग खबर लिखने वाले लोगों को भी धमकी देने लगते हैं. संभवता इन लोगों का कनेक्शन अस्पताल के उच्चाधिकारियों से डायरेक्ट होता है और यह लोग अपनी मनमानी करते हुए गरीब लोगों के साथ साथ मरते हुए लोगों को भी इलाज देने के बहाने अपना रुपया बनाते रहते हैं.डॉक्टर अपने क्लीनिकों का बिल भी लोगों को देने से कतराते हैं जिसके पीछे कहीं ना कहीं इनकी मंशा सरकारी टैक्स को चोरी करना होता है.लोगों का मानना है कि ऐसे लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिन्हित कर समय-समय पर दंडित करते रहना चाहिए ताकि समाज के लोगों को की परेशानियों को दूर किया जा सके.

बताते चले कि इन डॉक्टरों से कई गुना अच्छे ग्रामीण चिकित्सक होते हैं जो लोगों को कम से कम पैसे में इलाज देकर कुछ समय के लिए रोगियो को ठीक कर देते हैं और इन्हें बड़े इंस्टीट्यूट की तरफ भेजने की व्यवस्था कर देते हैं. यहां तक की गरीबी की स्थिति में यह लोग रुपए-पैसे के चक्कर में भी नहीं रहते हैं और अपने ग्रामीण रोगी को बचाने का भरपूर प्रयत्न करते हैं कुछ दिनों पहले नीतीश सरकार द्वारा इन ग्रामीण चिकित्सकों को मुख्यधारा से जोड़ने को ले पहल शुरू तो कर दी गई थी जो ठंडे बस्ते में चला गया.

साक्ष्य के रुप में वीडियो और दस्तावेजों के साथ जब बक्सर के सिविल सर्जन  के विभिन्न मीडियाकर्मियों द्वारा सारी बातों को रखा गया तो इस मामले पर सिविल सर्जन डॉक्टर के के लाल ने जांच के लिए कमेटी गठित करने का आदेश दिया और साथ ही उन्होंने कहा है कि जांच रिपोर्ट आते ही तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

 

 

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