तेल-गैस संरक्षण अभियान,राज्यपाल का वैकल्पिक स्त्रोतों पर जोर

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हिमांशु शेखर.रांची.देश की तेल एवं प्राकृतिक गैस कंपनियों के साथ पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संगठन द्वारा पूरे देश में 16 जनवरी से 15 फरवरी तक तेल एवं गैस संरक्षण अभियान सक्षम-18 चलाया जाएगा।रांची में इसकी शुरूआत झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को की।
राज्यपाल ने इस मौके पर कहा- भारत विश्व में ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। पेट्रोलियम उत्पादों की मांग बढ़ने की पूरी संभावना है क्योंकि तेल और प्राकृतिक गैस का योगदान देश में कुल ऊर्जा की आवश्यकता की एक तिहाई से अधिक है।
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने बताया कि प्रकृति में संसाधन सीमित हैं। दूसरे शब्दों में, प्रकृति में उपलब्ध ऊर्जा भी सीमित है। इस बढ़ती जनसंख्या के साथ मनुष्य की आवश्यकताएँ भी बढ़ती ही जा रही हैं। दिन-प्रतिदिन सड़कों पर मोटर-गाड़ियों की संख्या में जर्बदस्त वृद्धि हो रही है। रेलगाड़ी हो या हवाई जहाज सभी की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। जिस गति से ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ रही है उसे देखते हुए ऊर्जा के समस्त संसाधनों के नष्ट होने की आशंका बढ़ने लगी है। विशेषकर ऊर्जा के उन सभी साधनों की जिन्हे पुनः निर्मित नहीं किया जा सकता है,जैसे पेट्रोल, डीजल, कोयला तथा भोजन पकाने की गैस। सच्चाई है कि जिस तेज गति से हम इन संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब धरती से ऊर्जा के संसाधन विलुप्त हो जाएँगे। सौर ऊर्जा के दिशा में तेजी से कार्य करने होंगे। बायो-गैस, पौधरोपण पर जोर देना होगा।
उन्होंने कहा कि घरेलू तेल और गैस की सीमित उपलब्धता को देखते हुए भारत अपने कच्चे तेल की आवश्यकता का लगभग 80 प्रतिशत आयात कर रहा है। इस भारी आयात निर्भरता और हमारे आर्थिक संसाधनों पर इसके दबाव को देखते हुए पेट्रोलियम उत्पादों का संरक्षण करने पर विशेष बल दिये जाने की जरूरत है। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को भी दूर करना होगा।

 

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