जाने..ऐसा भी गांव,जहां हर जाति के अलग-अलग मंदिर

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अभिजीत पाण्डेय.पटना.बिहार में एक ऐसा गांव भी है जहां हर जाति व बिरादरी के लिए हैं अलग-अलग मंदिर.नवादा जिलान्तर्गत मेसकौर प्रखंड में है यह गांव-सीतामढी.दिलचस्प तथ्य यह है कि अलग-अलग मंदिर होने के बावजूद कभी कोई विवाद नहीं हुआ और आपसी सौहार्द बरकरार है.

इस गांव में माता सीता का इकलौता कॉमन मंदिर है जहां सभी बिरादरी के लोग पूजा-पाठ करते हैं.इसके अलावा जितने भी मंदिर हैं वे अलग अलग बिरादरी के हैं और वहां उसी बिरादरी के पुजारी रहते हैं.गांव में ऐसे अलग अलग 22 मंदिर हैं.

सबसे पुराना मंदिर कबीर मठ है.यह रविदास समाज का मंदिर है.यहां के पुजारी सुरेश राम भी रविदास हैं.इसी प्रकार राजवंशी ठाकुरबाड़ी राजवंशी समाज का है जिसमें बजरंगबली की मूर्ति है.चन्द्रवंशी समाज का अलग मंदिर है जिसमें उनके कुल देवता जरासंध के अलावा राम-लक्ष्मण, हनुमान आदि की प्रतिमा है.चौहान समाज का चौहान ठाकुरबाड़ी,कोईरी समाज का बाल्मिकी मंदिर,चौधरी समाज का शिव मंदिर,सोनार समाज का विश्वकर्मा मंदिर,यादव समाज का राधाकृष्ण मंदिर आदि हैं.

अलग अलग मंदिरों की व्यवस्था के बावजूद गांव में कभी आपसी विवाद नहीं हुए.गांव के लोग तो इसे सामाजिक सदभाव का मिशाल मानते हैं.अगहन मास की पूर्णिमा को गांव के सभी समाज के लोग जुटते हैं और गांव की समस्याओं पर विचार-विमर्श करते हैं.

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