कोई भी ऐसा कार्य नहीं करूँगा, जिससे लेागों का भरोसा टूटे- मुख्यमंत्री

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निशिकांत सिंह.पटना.  जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुये जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के प्रश्न पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह पार्टी का निर्णय है.  शरद यादव अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्य नहीं करना चाहते थे. उन्होंने इच्छा प्रकट की कि वे इस दायित्व को संभालने के लिये इच्छुक नहीं हैं. उनकी इच्छा थी कि मुझे इस दायित्व को संभाल लेना चाहिये. राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मेरे ऊपर जिम्मेवारी आ गयी है. पहले भी हम पार्टी का कार्य करते रहे हैं. सबलोगों की इच्छा को हमने स्वीकार किया है तथा अपनी इस नई जिम्मेवारी को निभायेंगे. इससे बिहार के कार्यों में बाधा नहीं आयेगी. बिहार के लोगों ने जो जिम्मेवारी मुझे दी है, वह मेरी पहली प्राथमिकता है.

नीतीश कुमार ने कहा कि पार्टी की जिम्मेवारी भी निभाता रहूंगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन पार्टी का अंदरूनी मामला है. इस संदर्भ में 23 अप्रैल 2016 को पटना में जदयू के राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को इनडोर्स किया जायेगा, साथ ही वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति पर चर्चा की जायेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके सामने कोई भी राष्ट्रीय मुद्दा आता है तो उन्होंने हमेशा अपनी स्पष्ट राय रखी है. वे गांधी, लोहिया, जयप्रकाश नारायण द्वारा दिखाये गये रास्ते पर चलने वाले हैं, उनकी नीति और राय उसी पर आधारित है.

प्रधानमंत्री के सभी गुण मौजूद होने के प्रश्न का जवाब देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं किसी पद की दावेदारी नहीं करता हूं. बिहार में जो कार्य कर रहा हूं, वह भी राष्ट्रहित का है. राष्ट्रीय मुद्दों पर अपना स्पष्ट राय प्रकट करता हूं और यह मेरा उतरदायित्व है. किस व्यक्ति में कितनी क्षमता है, इसका निर्णय लोग करेंगे. बिहार के प्रति जो मेरी जिम्मेवारी है तथा बिहार के लेागों ने जो मुझे लगातार तीसरी बार मैंडेट दिया है, मैं कोई भी ऐसा कार्य नहीं करूंगा, जिससे लेागों का भरोसा टूटे. पार्टियों के विलय एवं गठबंधन के प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव के पश्चात हमलोग निरंतर भाजपा के विरोधी शक्तियों को एकजुट करने के प्रयास में लगे हुये हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की बड़ी सफलता लोगों के लिये एक उदाहरण है. इससे देश में एक नई आशा की किरण दिखायी दी है. हमलोग व्यापक एकता के लिये प्रयासरत हैं, जिसमें दलों का मिलन, मोर्चा, गठबंधन जैसे अनेक संभावनायें हैं, कोई एक नहीं. सभी का मन है कि कोई नया गठजोड़ होना चाहिये, जो भाजपा को सता से दूर कर सके. सभी दलों का विलय ही एकमात्र समाधान नहीं है बल्कि कई विकल्प हैं. आज बिहार की सफलता सबसे बड़ा उदाहरण है. संभावनाओं के कई द्वार खुले हुये हैं. भाजपा की नीतियां लोकतंत्र एवं देश की एकता, अखण्डता के लिये खतरा है तथा आज समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है. असहिष्णुता का वातावरण तैयार कर लोगों का ध्यान मूल प्रश्न से हटाने की कोशिश की जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी पार्टी अपने-अपने विधान के मुताबिक कार्य करेगी. जो भी गठबंधन बनेगा, उसमें वैचारिक एकता तथा कार्यक्रमों की एकता होगी. बिहार एक उदाहरण है, जहां तीन पार्टियों का महागठबंधन है तथा तीनों पार्टियों के बीच आपसी सहयोग, तालमेल और वैचारिक एकता है तथा हमलोगों ने एक साझा कार्यक्रम तैयार किया है तथा उसे लागू करने के लिये कार्य कर रहे हैं. हम सबसे बड़ा गठबंधन, जो संभव हो सकेगा, उसे बनाने की कोशिश करेंगे. गवर्नेंस के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सात निश्चय में से एक निश्चय लागू कर दिया है. महिलाओं को सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है.

 

 

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