गृह सुख से वंचित करता यह योग

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खुशहाल घर

 

मुकेशश्री.

कुंडली में ग्रहों के संयोग से ही योग और दुर्योग का निर्माण होता है जो योग जातक   को नुकसान पहुंचाते है उसे दुर्योग की श्रेणी में रखा गया है. ऐसा ही एक योग है गृहनाश योग .जिस भी व्यक्ति की कुंडली में यह योग बनता है उस व्यक्ति का अपना बनाया गया या विरासत में मिला हुआ घर से हाथ धोना पड़ता है परिस्थिति से मजबूर होकर उस व्यक्ति को अपना घर बेचना पड़ता है या गिरवी रखना पड़ता है अथवा उसका घर किसी कारण से ध्वस्त हो जाता है. या फिर रहने लायक ही नहीं बचता .किसी भी जातक की कुंडली में यह योग तब बनता है जब चतुर्थ भाव का स्वामी अर्थात सुखेश 12 वें भाव व्यय भाव में पाप ग्रहों के साथ अवस्थित हो और क्रूर ग्रह की उस पर दृष्टि हो. ऐसी स्थिति में यह गृहनाश नामक दुर्योग बनता है .यह दुर्योग तब और प्रभावशाली होता है जब चतुर्थेश की महादशा . अंतरदशा चल रही होती है.

मो..9097342912

 

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