नीतीश सरकार का पैकेज पर विज्ञापन संघीय ढांचे पर कुठाराघात

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INTERVIEW 4

बिहार भाजपा के उभरते युवा नेताओं में एक नाम है सुधीर शर्मा का जिन्होंने कम उम्र में भाजपा के प्रदेश महामंत्री तक का सफर पूरा किया है.सुलझे विचारों वाले श्री शर्मा एक सामान्य कार्यकर्ता से राजनीतिक सफर की शुरूआत करके आज प्रदेश स्तर पर पार्टी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.अपने केबिन में वे टिकटार्थियों से घिरे और सभी के साथ व्यवहार कुशलता का परिचय देते व्यस्त दिखाई देते हैं.इसी व्यस्तता के बीच वर्तमान राजनीति पर उनसे विस्तृत बातचीत की निशिकांत ने. प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश.

प्रश्नः एनडीए में सीटों को लेकर मतभिन्नता बनी हुई है,कब तक दूर होगा यह सब.

उत्तरः – राजनीति में हर दल की इच्छा होती है कि अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़े. नेताओं की भी और दल की भी. लेकिन चारों दल के लोग मिलकर बैठकर तय करेंगे कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा. तब मतभिन्नता दूर हो जायेगी. क्योंकि चारों दलों का लक्ष्य अवसरवादी राजनीति और नैतिकता विहिन गठबंधन से  बिहार को मुक्त करना है. हमलोग सचेत है. कहीं मतभिन्नता नहीं है.

प्रश्नः एनडीए की सहयोगी पार्टी लोजपा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी एक दूसरे के विरूद्ध मोर्चा खोल चुके है. इससे कितना नुकसान हो रहा है एनडीए को.

उत्तरः दोनों दलों के नेताओं ने सौहार्दपूर्ण बात भी की है. दोनों ने स्पष्ट किया है कि कोई विवाद भी नहीं है.

प्रश्नः जनता के बीच मैसेज जा रहा है जिस तरह महागठबंधन से एनसीपी व सपा ने पल्ला झाड़ा वैसे ही आपस में लड़ रहें एनडीए के नेता.

उत्तरः कोई गलत संदेश नहीं गया है. जीतनराम मांझी, नीतीश कुमार द्वारा के जिल्लत भरे रवैये का शिकार हो चुके है. लालू प्रसाद ने दुर्दिन में उन्हें धोखा दिया. दोनों से धोखा खाये हुये मांझी जी और एनडीए का भी एक ही लक्ष्य है नीतीश- लालू के कुशासन से बिहार की मुक्ति. मांझीजी कभी नहीं चाहेंगे कि इस मुहिम को धक्का लगे.

प्रश्न- चर्चा है कि कई सीटिंग विधायकों का टिकट कटने वाला है. ऐसे विधायकों का परफारमेंस खराब है या उनसे बेहतर उम्मीदवार नजर आ रहा है.

उत्तरः इसके बारे मैं अपने स्तर पर कुछ नहीं कह सकता. इसके लिए प्रदेश की चुनाव समिति बैठेगी. इसके बाद केंद्रीय चुनाव समिति में अंतिम निर्णय होगा. तबतक सारी बातें सामने आ जायेगी. इसका फैसला दिल्ली से ही हो पायेगा.

प्रश्न- नीतीश सरकार ने विधायक कोटा को समाप्त कर विधायकों को जनता से दूर कर दिया था क्या उसका असर  भी है कि कई सीटिंग विधायकों की जीत की संभावना संदेहास्पद हो गई है.

उत्तरः निश्चित रूप से नीतीश कुमार का यह फैसला अलोकतांत्रिक था. इसका खामियाजा उन्हें आनेवाले विधानसभा चुनाव में  भुगतना पड़ेगा. निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का अपमान और सरकारी अधिकारियों की राय को तव्जों देना  नीतीश कुमार की कार्यशैली रहीं है. इससे नेता, कार्यकर्ता और आम जनता के हितो पर लगातार कुठाराघात हुआ है. आम लोगों में  भी इनके खिलाफ आक्रोश है.

प्रश्नः टिकट के लिए जिला से फिडबैक, प्रदेश चुनाव समिति,या केंद्रीय चुनाव समिति- इसमें कौन सा स्टेज महत्वपूर्ण है.

उत्तरः हमारी पार्टी के लिए तीनों महत्वपूर्ण है. जितना जिला ईकाई से जमीनी हकीकत का पता चल जाता है. हर क्षेत्र के बारे में वहां के समाजिक, भोगोलिक व राजनीतिक परिस्थितियों का आकलन करते  है. प्रदेश की चुनाव समिति में बेहतर विकल्प क्या हो सकता है इसपर चर्चा करते है. और केंद्रीय चुनाव समिति में अंतिम फैसला होता है.  इसलिए तीनों स्तर महत्वपूर्ण होता है.

प्रश्नः कभी कभी ऐसा भी होता है टिकट के लिए जिला ईकाई व प्रदेश ईकाई से अनुमोदन होने के बाद भी जो लिस्ट भेजा जाता है उनकी अनदेखी कर किसी अन्य को टिकट दे दिया जाता है. वैसे में पार्टी उम्मीदवार को क्षेत्र में विरोध का सामना करना पड़ता है.

उत्तर    भारतीय जनता पार्टी में ऐसा नहीं के बराबर होता है. केंद्रीय चुनाव समिति को अपना निर्णय लेने का अधिकार है. लेकिन जमीनी हकीकत के लिए जिला व मंडल इकाई के कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श कर फिडबैक जरूर लिया जाता है. फिर प्रदेश की चुनाव समिति गहन मंथन करती है. इसके बाद ही केन्द्रीय समिति के पास सूची जाती है.  वैसे ढेर सारे कार्यकर्ताओं में राजनीतिक महत्वकांक्षा होती है.इसलिए निर्णय  के दौर में थोड़ा बहुत विरोध हो सकता है. लेकिन जैसे ही टिकट की घोषणा हो जाती है पूरी पार्टी एक हो जाती है.यह भाजपा की खासियत है.

प्रश्न – एनडीए के सभी दल अपने अपने घोषणा पत्र पर चुनाव लड़ेगे या  पिछली बार की तरह एनडीए का संयुक्त कार्यक्रम घोषित होगा.

उत्तरः अभी इसपर निर्णय नहीं हुआ है. जब निर्णय होगा तब आप सब को बता दिया जायेगा.

प्रश्नः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित विशेष पैकेज को नीतीश सरकार धोखा बता रहीं है. इसे रिपैकेजिंग बताया जा रहा है.

उत्तरः आम जनता नीतीश कुमार के इस अमर्यादित रवैये से क्षुब्ध है. नीतीश कुमार पैकेज के बारे में बिहार सरकार के विज्ञापन में जो कह  रहे हैं,यह संघीय ढ़ांचा पर कुठाराघात है. सरकार अपनी पार्टी के प्रचार के लिए बिहार सरकार के पैसों का दुरूपयोग कर रहीं है. पूरे देश में इस तरह का अनुठा उदारण है. भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत कर दी है. चुनाव आयोग को कार्यवाई करनी चाहिए. बिहार के लोग नीतीश कुमार के घटिया राजनीति से आहत है. जहां नीतीश कुमार को पैकेज का स्वागत करना चाहिए था वहां देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ विषवान कर रहें है. यह उनकी तुच्छ बौखलाहट को दर्शाता है.

प्रश्नः पहली बार बिहार में भाजपा बड़े भाई की भूमिका में है. इससे पहले बड़े भाई जदयू ने दबाव बनाकर हर चुनाव में भाजपा की सीटों की संख्या कम करता  रहा.क्या भाजपा भी अपने सहयोगी दलों के साथ दबाव की राजनीति नहीं कर रही है. 

उत्तरः भारतीय जनता पार्टी के सामने तब बिहार को लालू -राबड़ी के कुशासन से मुक्ति कराने का लक्ष्य था. इस महान लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमलोगों ने अपने हितों का ख्याल नहीं किया. आप ठीक कह रहें है, नीतीश कुमार द्वारा लगातार गठबंधन धर्म का उलंघन होते रहा. हम विकसित बिहार के लक्ष्य पर चल रहे थे. इसलिए अपमान को भी सहते रहे. नीतीश कुमार का दुर्भागय था कि उन्होंने इतनी लंबी दोस्ती के बावजूद भाजपा के साथ विश्वासघात किया. लेकिन हमलोग गठबंधन धर्म का बखुबी से निर्वहन करते है.  सहयोगी  दलों को दबाने का काम नहीं करते है. 2009 के लोकसभा में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत आने के बाद अपने सहयोगियों के साथ किया. कुछ ही सीट अधिक आने पर लालू  प्रसाद को बाहर कर दिया. हमलोगों ने किसी दल को मंत्रिमंडल से दूर नहीं रखा जबकि हमारे पास पूर्ण बहुमत है.  हमलोगों की तरफ से किसी सहयोगी के साथ वैसे व्यवहार  की कोई संभावना नहीं है.

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